कैथल : एक तरफ तो केंद्र व प्रदेश सरकार शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने के दावे कर रही है तो वहीं दूसरी ओर शिक्षा विभाग को निजी हाथों में सौंपकर युवाओं के हितों से सरेआम खिलवाड़ किया जा रहा है। शिक्षा विभाग में कंप्यूटर शिक्षकों को तैनात करने वाली अनुबंध कंपनियां युवाओं को वेतन कम देकर उनके हितों से खिलवाड़ कर रही हैं, वहीं सिक्योरिटी के नाम पर युवाओं से करोड़ों रुपये की राशि एकत्रित कर शिक्षा विभाग के नियमों को ठेंगा दिखा रही हैं। इसका खुलासा आरटीआइ में हुआ है।
फतेहाबाद जिले के ढाणी माजरा गांव के सुशील कुमार ने शिक्षा विभाग से कंप्यूटर शिक्षकों से संबंधित सूचना मांगी थी। विभाग ने अपने पत्र क्रमांक 4-15-2013 सीईसी 3 दिनांक 5-11-2013 को दी सूचना में हैरत अंगेज कारनामे सामने आए हैं। सूचना के तहत पाया गया कि विभाग ने कंप्यूटर शिक्षकों के अनुबंध के लिए मैसर्ज श्री राम न्यू होरीजोन लिमिटेड, मैसर्ज ट्रांजिन टेक्नोलोजी और मैसर्ज भूपेंद्रा सोसायटी के साथ अनुबंध किया था। यह अनुबंध शिक्षा विभाग के आईएएस अधिकारी चंद्रशेखर के साथ किया गया था। आरटीआइ से खुलासा हुआ है कि अनुबंध के तहत प्रत्येक कंप्यूटर अध्यापक को 14403 रुपये वेतन दिया जाना था जबकि कंपनियों ने अनुबंधित अध्यापकों से 12 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन देने का अनुबंध किया है। खास बात यह भी है कि यह अनुबंध कंपनियों ने तीन वर्ष के लिए किया है जबकि विभाग के साथ कंपनियों का अनुबंध केवल 31 मार्च 2015 तक का है। शिक्षा विभाग ने अपने अनुबंध में कंप्यूटर अध्यापकों से सिक्योरिटी के बारे में कोई जानकारी नहीं दिया है जबकि कंपनियों ने चुपके से सभी अभ्यर्थियों से 24 हजार रुपये प्रति अध्यापक सिक्योरिटी वसूली है। dj
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