** करीब 100 छात्राओं ने लिया प्राइवेट स्कूल में दाखिला
सांपला : शिक्षा विभाग की लाचारी कहें या बच्चों के भविष्य से खिलवाड़। सांपला खरखौदा मार्ग पर अग्रसेन राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल में सीनियर छात्राओं के लिए न पढ़ाने के लिए शिक्षक हैं और न ही बैठने के लिए डेस्क। साल बीतने को है अब तक पूरा स्टाफ न होने से करीब 100 बच्चों को स्कूल बदलना पड़ा है। अधिकारियों का कहना है नई भर्ती चल रही है जल्द शिक्षक पहुंचेंगे। प्राचार्य का भी जवाब है कि उन्हें स्टाफ कमी की रिपोर्ट आला अधिकारियों के पास भेज रखी है।
प्रदेश सरकार ने लड़कियों को उच्च शिक्षा देने के लिए अग्रसेन कन्या हाईस्कूल को अपग्रेड कर बाहरवीं तक किया था। लड़कियों की साइंस के प्रति रूची बढ़ाने के लिए साइंस विषयों की पढ़ाई शुरू करने के आदेश दिए गए, लेकिन आदेश सिर्फ कागजों में चलकर रह गए। आज तक साइंस विषयों को पढ़ाने के लिए पूरा स्टाफ नहीं पहुंचा। स्कूल की हालत यहां तक खराब हो गई है कि आर्ट विषयों के शिक्षक भी नहीं हैं। दसवीं कक्षा तक के शिक्षक उनकी पढ़ाई करा रहे हैं। अध्यापकों की कमी से छात्राओं की संख्या घटती जा रही है। करीब 100 छात्राओं ने प्राइवेट स्कूलों में दाखिला ले लिया है। साइंस कॉमर्स की छात्राएं प्राइवेट सेंटरों पर कोचिंग लेने को मजबूर हैं। शिक्षकों ने बताया कि कई अभिभावकों ने दूसरे स्कूलों में दाखिले कराने शुरू कर दिए हैं। स्कूल में ग्यारहवीं व बारहवीं कक्षा में 350 से घटकर अब 250 रह गई। छात्रा पूजा, रीतू, सीमा, प्रियंका, बिंदिया, क्रीर्ति, रेखा, मोनिका, ममता, कोमल सविता बिंदू, मीनाक्षी, ज्योति ने बताया कि शिक्षकों की कमी है। गयारहवीं कक्षा में चार सेक्शन हैं जिनको एक ही स्थान पर एक टीचर पढ़ाते हैं। साइंस पढऩे वाली छात्राओं ने स्कूल आना ही बंद कर दिया।
इंचार्ज बोलीं
स्कूल की प्राचार्य रीतू पंघाल का कहना है स्टाफ की कमी के बारे में और दरवाजे और खिड़की चढ़वाने के लिए भी अधिकारियों को रिपोर्ट भेजी हुई है।
खिड़कियों पर दरवाजे तक नहीं
कड़ाके की ठंड में छात्राओं को फर्श पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है। उन्होंने बताया कि बैंच तक की सुविधा नहीं है। कमरों की खिड़कियों पर दरवाजे नहीं होने से ठंडी हवा आती है उन्हें गत्ते से ढका गया है। बैठने के लिए फटी टाट पट्टी का सहारा है। db
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