** पुलिस लाइन राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में शिक्षकों के बिना ही पढ़ाई करनी पड़ रही छात्राओं को
अम्बाला सिटी : जहां एक ओर सरकार बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ अभियान पर खरा उतरने की कोशिश में जुटी है, वहीं दूसरी ओर सरकारी स्कूलों में बेटियों को पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं है। करीब दो साल से उन्हें बाहर निजी संस्थानों में जिन सब्जेक्टस् के टीचर्स नहीं है, उनके लिए अलग से पैसे देकर बाहर पढ़ने को मजबूर होना पड़ रहा है।
ऐसा नहीं है कि शिक्षा विभाग को इसकी जानकारी नहीं है, विभाग अधिकारी इससे भली-भांति परिचित हैं, किंतु स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों की समस्या का समाधान नहीं हुआ। अब उन्हें फेल होने का डर सताने लगा है। गौरतलब है कि सिटी के पुलिस लाइन स्थित राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में दाखिल के समय करीब 450 छात्राएं थीं, जिनमें सबसे अधिक गणित विषय की छात्राएं शामिल हैं। उस समय स्कूल में विभाग की ओर से सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने का आश्वासन भी मिला था। सालाना स्कूल में करीब 150 छात्राएं गणित विषय में दाखिले लेती हैं। तब से ही स्कूल प्रशासन को छात्राओं की संख्या अधिक होने की वजह से अध्यापकों की कमी खलने लगी। करीब दो साल से स्कूल में अध्यापक होने की वजह से कुछेक छात्राओं ने तो निजी संस्थाओं में दाखिला ले लिया, जिनमें अधिक फीस होने की वजह से उनके अभिभावकों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। यही हाल जिला के अन्य स्कूलों में भी है।
पहले 90 प्रतिशत आता था परिणाम, अब 50 प्रतिशत
अभिभावक आर्थिक तंगी के चलते लड़कियों का दाखिला सरकारी स्कूलों में करवा देते हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार ने भी छात्राओं की बीए तक शिक्षा मुफ्त कर दी। इतना ही नहीं उन्हें छात्रवृत्ति अन्य प्रोत्साहन भी दिए जाएंगे। किंतु स्कूलों में अध्यापकों की कमी के चलते छात्राओं को पढ़ाई करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। स्कूल प्रशासन का कहना है कि दो साल से स्कूल में टीर्स होने की वजह से जहां पहले स्कूल का परीक्षा परिणाम 80 से 90 प्रतिशत आता था, वहीं दूसरी अोर अब यह परिणाम 50 से 55 ही रह गया है। टीचर्स होने की वजह से छात्राओं को भविष्य अंधकारमय होता दिखाई देने लगा है।
कई बार शिक्षा मंत्री से मिल चुके हैं : गर्ग
" स्कूल में पांच विषयों के अध्यापक नहीं हैं। अध्यापकों की कमी के चलते छात्राएं स्कूल में दाखिला नहीं लेतीं। स्कूल की इस समस्या को लेकर कई बार स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के सदस्य, पूर्व शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल से मिले चुके हैं। हाल ही में जिला शिक्षा अधिकारी वंदना गुप्ता से मिलेे थे अौर उन्हें स्कूल में टीचर्स कमी से अवगत भी करवाया था, जिस पर उन्होंने आश्वासन दिया था कि वे जल्द ही उच्चाधिकारियों से मिलकर स्कूल में टीचर्स की व्यवस्था करेंगे। "-- सतपाल गर्ग, प्रिंसिपल राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, अम्बाला सिटी।
टीचर्स की स्थिति
विषय पोस्ट खाली
मैथ 2 2
फिजिक्स 1 1
कैमिस्ट्री 1 1
हिस्ट्री 1 1
पीटीआई 2 2
निजी संस्थानों में खर्च देने में सक्षम नहीं
पढ़ाई प्रभावित न हो, इसीलिए छात्राएं निजी संस्थाओं में पढ़ाई करने के लिए जाती है, किंतु अभिभावकों की आर्थिक तंगी के चलते अधिकांश छात्राएं निजी संस्थानों की राशि चुकाने में सक्षम नहीं हैं। गरीब छात्राएं तो आर्थिक तंगी के कारण स्कूल ही छोड़ देती हैं। स्कूल के प्रधानाचार्य का कहना है कि स्कूल में अध्यापक नहीं होने आर्थिक स्थिति ठीक होने की वजह से स्कूल को करीब 35 छात्राएं छोड़ चुकी हैं। इतना ही नहीं स्कूल में तो कोई चौकीदार है और ही कोई माली जो स्कूल की छात्राओं की देख-रेख कर सके। प्रशासन को समस्या के बारे में अवगत करवाया भी गया है, लेकिन फिर भी पिछले दो सालों से विभाग के किसी अधिकारी स्कूल की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। db
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