पानीपत : शिक्षा के मंदिर में पदों के लिए राजनीतिक हस्तक्षेप कम से कम करने की तैयारी में भाजपा सरकार जुट गई है। इसके तहत वह कांग्रेस शासनकाल में नियुक्त सभी कुलपतियों को एक साथ के बजाय तीन चरणों में हटाएगी। 30 जनवरी को राज्य कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव मुहर लग सकती।
सूत्रों के अनुसार प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बदलने के बाद सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से मौखिक तौर पर त्यागपत्र देने को कहा गया था। इसे देखते हुए विशेषकर विधानसभा चुनाव से दो माह पूर्व बने चार कुलपतियों ने प्रदेश के कुलपतियों को एक जुट कर उन्हें पद से किसी भी सूरत में इस्तीफा नहीं देने को राजी कर लिया था। इसका परिणाम यह हुआ कि किसी भी कुलपति ने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया। यहां बता दें कि इनेलो शासन के बाद जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी तो उस समय बिना किसी देरी के सभी कुलपतियों से रातों रात इस्तीफा ले लिया गया था।
इस्तीफा नहीं देने के कारण सरकार ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों के सहारे इनको विश्वविद्यालय से चलता करने की तैयार कर ली है। प्रथम चरण के तहत सरकार कुलपतियों के अधिकतम आयुसीमा 68 वर्ष के बजाय अब 65 वर्ष करने जा रही है। 30 जनवरी को प्रदेश के तीन विश्वविद्यालयों हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ केके खोखर, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति डीएस संधु, और एमडीयू विश्वविद्यालय रोहतक के कुलपति आरके चहल की छुट्टी हो जाएगी। दूसरे चरण के तहत नॉन एकेडमिक कुलपति लगे कुलपतियों की छुट्टी की जाएगी, इसके तहत देवीलाल विवि सिरसा, इंदिरा गांधी मीरपुर विवि के कुलपति शामिल है। इसके अतिरिक्त रणवीर विश्वविद्यालय जींद, महिला विश्वविद्यालय खानपुर, मुरथल विवि और भिवानी विश्वविद्यालय शामिल है। dj
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.