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Wednesday, 28 January 2015

निलंबित नहीं, दोषी टीचरों को बर्खास्त करो : हाईकोर्ट

** नौकरी छोड़ने वाले टीचरों पर भी कार्रवाई करने का निर्देश
** शिक्षा निदेशक को फटकार, हर सुनवाई पर पेश होने को कहा
** इस मामले की अगली 19 फरवरी को होगी
** अब तक 798 आवेदक मिले फर्जी 
** पात्रता परीक्षा की ओएमआर शीट पर मौजूद अंगूठे के निशान का हो रहा मिलान
चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अध्यापक पात्रता परीक्षा (स्टेट) परीक्षा में धांधली के मामले में कड़ा रवैया अपनाते हुए शिक्षा विभाग को निर्देश दिया कि सभी टीचरों की जांच करो। अगर किसी ने नौकरी छोड़ भी दी हो और वह फर्जीवाड़े का दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई करो। केवल निलंबन करने से काम नहीं चलेगा, ऐसे टीचरों को बर्खास्त किया जाना चाहिए। बेंच ने शिक्षा विभाग द्वारा इस मामले में की जा रही कार्रवाई पर असंतोष जताते हुए डायरेक्टर एलीमेंटरी एजुकेशन को कड़ी फटकार भी लगाई। साथ ही हर सुनवाई पर पेश किए गए हलफनामे में दी गई संख्या पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि अगली सुनवाई पर सही तथ्यों व संख्या की जानकारी दी जाए। 
मंगलवार को बेंच को निदेशक ने बताया कि तीन टीचर ऐसे हैं जो कार्यरत हैं लेकिन जांच के लिए पेश नहीं हो रहे। इस पर बेंच ने निदेशक को फटकार लगाते हुए कहा कि आप इन टीचर पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे। निदेशक ने बेंच को बताया कि विभाग इन टीचरों को निलंबित करने जा रहा है। इस पर जस्टिस राजेश बिंदल ने कहा कि निलंबित कर उनको आधा वेतन देकर क्यों विभाग पर बोझ डाल रहे हैं। जो टीचर साफ तौर पर दोषी पाए गए हैं उनको बर्खास्त क्यों नहीं किया जा रहा। उन्होंने निदेशक से पूछा कि कितने टीचर जांच में दोषी पाए जा चुके हैं। निदेशक ने बताया कि केवल 1095 टीचर जांच में सही पाए गए हैं। 756 शिक्षकों को जांच में फर्जी पाया गया और 374 में से 216 ने नौकरी छोड़ दी है, 16 की मृत्यु हो चुकी है, 65 ने नौकरी च्वाइन नहीं की और 19 डबल कोड हैं। 6060 टीचर के हस्ताक्षरों की जांच के लिए एसएफएल लैब को कहा गया है। बहस के दौरान याचिकाकर्ता के वकील जसवीर मोर ने बेंच को बताया कि प्रास्पेक्ट नियमों के तहत दोषी टीचरों को सजा देने का प्रावधान है। बेंच ने कहा कि चाहे कोई नियम हो या नहीं, जिस टीचर ने फर्जी तरीके से परीक्षा पास की है उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज कर अगली सुनवाई पर विस्तृत जानकारी दी जाए। सुनवाई के दौरान एसएफएल मधुबन के निदेशक ने हाईकोर्ट को बताया कि उनके पास स्टाफ नाम मात्र का है। उनके समेत केवल चार सदस्य हैं जो रोजाना 60 टीचरों की पांच तरह के हस्ताक्षरों की जांच करते हैं। वो लगभग 2000 टीचरों की जांच कर चुके हैं और संभवत 31 मार्च तक जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंप देंगे।
यह था मामला 
वर्ष 2011 में शिक्षकों के 8285 पदों पर हुई भर्ती में नियमों की पालना न होने और गलत तरीके से शिक्षक बनने वालों की नियुक्ति रद करने की अपील करते हुए याचिका दाखिल की गई थी। याची ने कहा था कि शिक्षा बोर्ड ने राज्यस्तरीय अध्यापक पात्रता परीक्षा (स्टेट) का आयोजन किया था। इसके लिए जारी विवरणिका (प्रोस्पेक्टस) में साफ लिखा था कि परीक्षा की उत्तरपुस्तिका पर अंगूठे के निशान व फार्म पर किए अंगूठे के निशान का मिलान कर ही प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे। बावजूद इसके इस जांच को किए बगैर ही प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए और परीक्षा में कई छात्रों ने अपनी जगह दूसरे को बिठाकर परीक्षा पास कर ली।                               dj


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