हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने मैट्रिक व दस जमा दो कक्षा के विद्यार्थियों के लिए उनके गांव के ही विद्यालय में परीक्षा केंद्र बनाने की बजाए साथ लगे दूसरे गांवों में परीक्षा केन्द्र बनाने का विचार किया है। बोर्ड का तर्क है कि इससे बाहरी हस्तक्षेप रुकेगा और नकल पर भी अंकुश लगेगा। लेकिन अभिभावकों ने इस पर रोष प्रकट करते हुए इसे अनुचित निर्णय बताया है। जिला पार्षद मोनिका श्योराण, राजेश कादमा, सरपंच बिजेन्द्र सिंह बाढड़ा, विजय फौजी, पूर्व सरपंच सुरेश डालावास, नंबरदार शीशराम धनखड़ इत्यादि ने बताया कि शिक्षा विभाग के इस फैसले से अभिभावकों को दर-दर भटकना पड़ेगा वहीं किसी भी गांव की परीक्षा केन्द्र पर शांतिपूवर्क संचालन की जिम्मेवारी भी कम होगी।
अब तक अपने गांव में परीक्षा केन्द्र बनने पर उसके सफल व शांतिपूर्वक संचालन की जिम्मेवारी स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों की होती रही है लेकिन अब अगर उनके बच्चे दूसरे गांवों मे जाऐंगे और उनके गांव के विद्यालय में दूसरे गांवों के विद्यार्थी परीक्षा देंगे तो वे परीक्षाओं में सहयोग देंगे इस पर संशय है।
प्रत्येक ग्राम पंचायत की जवाबदेही तभी तय होगी जब उनके बच्चे गांव के ही विद्यालय में परीक्षा देंगे। पंचायत प्रतिनिधियों ने प्रदेश के शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा व बोर्ड के सचिव से इस फैसले को वापस लेने की अपील की है। djbhwn
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