चंडीगढ़ : शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) से मौलिक शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है। प्रदेश के प्राथमिक व मिडिल स्कूलों में कार्यरत शिक्षक अब छात्रों को ही पढ़ाएंगे। गैर शैक्षणिक कार्यो से उन्हें छुटकारा मिल गया है। भविष्य में वे बीएलओ (बूथ लेवल आफिसर) की ड्यूटी भी नहीं देंगे।
स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव टीसी गुप्ता की ओर से इस संबंध में परिपत्र जारी कर दिया गया है। सरकार के इस निर्णय का लाभ छह हजार प्राइमरी व मिडिल स्कूल शिक्षकों को मिलेगा। वर्ष 2009 के बाद से ये शिक्षक लगातार बीएलओ की ड्यूटी करते आ रहे थे। इससे छात्रों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा था। ड्यूटी खत्म करने को लेकर शिक्षक कई बार मांग भी उठा चुके थे, लेकिन पूर्व हुड्डा सरकार के समय विभाग ये निर्णय लेने की हिम्मत नहीं दिखा पाया। जबकि आरटीई में स्पष्ट प्रावधान है कि कोई भी शिक्षक गैर शैक्षणिक कार्य नहीं करेगा। इसका फायदा शिक्षा विभाग के नए अतिरिक्त मुख्य सचिव टीसी गुप्ता ने उठाया। उन्होंने आरटीई के अनुच्छेद 27 को लागू कर शिक्षकों को बीएलओ के झंझट से मुक्ति दिला दी है। उनके इस निर्णय को मनोहर सरकार की शिक्षा का स्तर सुधारने की कवायद से जोड़कर देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल व शिक्षा मंत्री रामबिलास स्कूली शिक्षा में सुधार लाने के लिए पहले ही निर्देश दे चुके हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव टीसी गुप्ता ने जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र कर निर्देश दिए हैं कि कोई शिक्षक अब बीएलओ ड्यूटी नहीं देगा। अगर कोई अपनी मर्जी से ड्यूटी लगवाता है तो उसे शिक्षा विभाग से वेतन न दिया जाए, चूंकि जिस विभाग का काम शिक्षक करेगा, वेतन भी वहीं से ले। शिक्षकों के चुनावी ड्यूटी देने से स्कूलों में पढ़ाई का माहौल खराब हुआ है। शिक्षा का स्तर गिरने से ही अभिभावकों ने अपने बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिल कराया है। dj
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