** शिक्षा विभाग के कार्यालय से तीन बार जारी हो चुके कर्मचारी की एलपीसी जारी करने के पत्र
** एलपीसी मिलने से सात माह से असिस्टेंट को नहीं मिला वेतन
कैथल : पदोन्नति होने पर लोग खुश होते हैं। उनका वेतन बढ़ने के साथ-साथ पद भी बढ़ जाता है, लेकिन शिक्षा विभाग में एक ऐसा भी अभागा कर्मचारी है, जो पदोन्नति होने के बाद बहुत दुखी है। डीईओ कार्यालय में असिस्टेंट के पद पर तैनात इस कर्मचारी को एक प्रिंसिपल के कारण पदोन्नति होने के बाद सात माह से वेतन नहीं मिला। यह मामला उप शिक्षा निदेशक पंचकूला के ध्यान में भी पहुंच चुका है। जिला शिक्षा विभाग के अधिकारी अपने ही कर्मचारी का वेतन दिलाने में असमर्थ दिख रहे हैं।
मामला काकौत सीनियर सेकेंडरी स्कूल में तैनात क्लर्क सुभाष चंद का है। सुभाष चंद की शिक्षा विभाग ने पदोन्नति करके डीईओ कार्यालय में असिस्टेंट के पद पर तैनात कर दिया है। लेकिन उसे काकौत सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल द्वारा असिस्टेंट की एलपीसी (लास्ट पे सर्टिफिकेट) को रोक लेने से सात माह से वेतन नहीं मिल पाया। जिला शिक्षा अधिकारियों द्वारा समस्या सुलझाने के लिए प्रिंसिपल को कई पत्र भी लिखे गए हैं। डीईओ कार्यालय में असिस्टेंट की हाजिरी लग रही है।
दो सदस्यों को सुपुर्द किया था रिकाॅर्ड
"मैं काकौत स्कूल में क्लर्क के पद पर तैनात था। शिक्षा विभाग ने 17 जून 2014 को मेरी पदोन्नति असिस्टेंट के तौर पर कर जिला शिक्षा विभाग में ड्यूटी लगा दी। इसके बाद मैंने डीईओ कार्यालय में ड्यूटी ज्वाइंन कर ली। प्रिंसिपल ने रिकार्ड सौंपने के लिए मुझे 11 जुलाई से 14 जुलाई तक स्कूल बुलाया। मैंने स्कूल के दो स्टॉफ सदस्यों को रिकार्ड सुपुर्द कर रसीद देने के लिए कहा। लेकिन उन्होंने कहा कि प्रिंसिपल छुट्टी पर हंै। उनके आने पर ही रसीद मिल पाएगी। इसके बाद भी दो बार स्कूल गया, लेकिन प्रिंसिपल ने रिकार्ड गुम होने का बहाना बनाकर मेरी एलपीसी नहीं दी। मेरे बाद रिकाॅर्ड गुम कैसे हुआ। यह स्कूल स्टाफ के सदस्य या प्रिंसिपल ही बता सकते हैं। "-- सुभाषचंद असिस्टेंट, डीईओ कैथल
हमें पत्र के जवाब का इंतजार है
"हमने पहले भी काकौत स्कूल के प्रिंसिपल को असिस्टेंट की एलपीसी जारी करने के लिए पत्र लिखे हैं। इस बार फिर शिक्षा विभाग की ओर से एक पत्र लिखकर स्पष्ट कहा है कि अगर वह एलपीसी जारी नहीं करता तो असिस्टेंट उसके परिवार के साथ किसी भी अप्रिय घटना के लिए वह स्वयं जिम्मेदार होगा। अगर असिस्टेंट कसूरवार था तो उसकी कार्यभार मुक्ति रिपोर्ट देने की क्या जरूरत थी।"-- शमशेरसिंह सिरोही, डिप्टी डीईओ, कैथल
15 लाख की है गड़बड़ी
"स्कूल में क्लर्क होते हुए सुभाष चंद ने करीब 15 लाख रुपए की गड़बड़ी की है। बच्चों के फंड का रिकार्ड नहीं मिल रहा। हमने बैंक में भी इसकी जांच कराई है। बैंक अधिकारी रिकार्ड सही बता रहे हैं। लेकिन स्कूल में पांच के करीब फाइलें मिस हैं। हमने क्लर्क से असिस्टेंट बने सुभाष चंद को कई बार स्कूल में बुलाया। लेकिन वह रिकार्ड नहीं दे पाया। हमें रिकार्ड दे दे और अपनी एलपीसी ले जाए।" -- रामकुमार,प्रिंसिपल राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, काकौत db
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.