चंडीगढ़ : हरियाणा के कर्मचारी पंजाब के समान वेतनमान बार-बार मांग कर आजिज आ चुके हैं। कर्मचारी वर्ग हरियाणा का अलग से वेतन आयोग चाहता है। केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशें हरियाणा के कर्मचारियों पर लागू नहीं की जाती। पंजाब के वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने में भी सरकार आनाकानी करती है, इसलिए सर्व कर्मचारी संघ मुख्यमंत्री मनोहर लाल को भेजे जाने वाले मांग पत्र में अलग वेतन आयोग को प्रमुख मुद्दा बनाएगा। प्रदेश के कर्मचारी लंबे समय से पंजाब के समान वेतनमान की मांग कर रहे हैं। पूर्व हुड्डा सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम समय में ये मांग मान भी ली थी, लेकिन भाजपा सरकार ने सत्ता में आने के बाद इसे खारिज कर दिया। हालांकि ये भाजपा के घोषणा पत्र में भी शामिल है। अब कर्मचारी पंजाब समान वेतनमान के साथ ही अलग वेतन आयोग गठित करने की मांग मुख्य रूप से उठाएंगे। सर्व कर्मचारी संघ ने वेतन विसंगति आयोग के गठन पर भी सवाल उठाए हैं। संघ के महासचिव सुभाष लांबा का कहना है कि सरकार की ओर से आयोग गठित करने का कोई परिपत्र उन्हें नहीं मिला है। न ही आयोग ने अभी तक संघ प्रतिनिधियों को वेतन पर चला आ रहा गतिरोध दूर करने के लिए सुनवाई के लिए बुलाया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा के कर्मचारियों को अभी तक छठे वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ ही नहीं मिला है। केंद्र सरकार ने सातवें वेतन आयोग का गठन कर दिया है। इसकी सिफारिशें आने के बाद पंजाब वेतन आयोग अपने कर्मचारियों का वेतन उसके आधार पर तय करेगा। जिससे उनके वेतन में और विसंगतियां पैदा होंगी। इसलिए सरकार को अपना वेतन आयोग गठित करना चाहिए। लांबा ने कहा कि सभी कर्मचारियों के लिए कैशलेस मेडिकल सुविधा भी प्रमुख मांग है। संघ अपना मांग पत्र तैयार कर रहा है। इसे दो या तीन फरवरी को मुख्यमंत्री को सौंप दिया जाएगा। ई-मेल से भेजने के साथ ही खुद भी संघ पदाधिकारी मांग पत्र सौंपने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि सभी कच्चे कर्मचारियों को पक्का करना, कंप्यूटर टीचर्स व लैब सहायकों को समय पर वेतन, बिना टेंडर अस्थायी कर्मी न रखना, स्वास्थ्य विभाग की परियोजनाओं में कार्यरत कर्मचारियों को पक्का करना, भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए ठेका प्रथा बंद करवाना संघ के प्रमुख मुद्दे होंगे। dj
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.