चंडीगढ़ : निजी स्कूलों में गरीब बच्चों की मुफ्त शिक्षा का मामला पेचीदा होता जा रहा है। पहले स्कूल शिक्षा विभाग ने आठ हजार बच्चों की मूल्यांकन परीक्षा का रिजल्ट निकालने में देरी की, अब निजी स्कूल संचालकों ने इस बार नियम 134ए के तहत गरीब बच्चों को दाखिला देने से मना कर दिया है।
निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि सरकार अगर गरीब बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाने को तैयार होती है, तभी वे दाखिला देंगे। दूसरी तरफ, सरकार के आदेश पर स्कूल शिक्षा विभाग ने आगामी सत्र में अधिकांश गरीब बच्चों को दाखिला दिलाने के लिए अभी से तैयारियां शुरू कर चुका है। ऐसे में सरकार और विभाग की योजना को पलीता लग सकता है।
हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ के अध्यक्ष सत्यवान कुंडू व प्रांतीय महासचिव अजीत यादव ने कहा कि अगर सरकार नियम 134ए के तहत गरीब बच्चों पर होने वाले खर्च को वहन नहीं करती है तो निश्शुल्क दाखिला नहीं दिए जाएंगे। निजी स्कूल नियम 134ए के तहत दस प्रतिशत बच्चों को अगर फ्री पढ़ाते हैं तो उनका खर्च बाकी 90 प्रतिशत बच्चों पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि नियम 134ए हरियाणा को छोड़कर देश के किसी भी अन्य राज्य में लागू नहीं है। आरटीइ नियम लागू होना चाहिए, चूंकि इसके तहत 25 प्रतिशत बच्चों को मुफ्त दाखिला देने का प्रावधान है। कुंडू ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल व शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा को पत्र लिखा है। इसमें कहा है कि निजी स्कूल पहले की भांति 134ए के तहत गरीब बच्चों को फ्री पढ़ाने के लिए तैयार हैं, लेकिन खर्च सरकार दे। कुंडू ने कहा कि दो जमा पांच मुद्दे जन आंदोलन के अध्यक्ष सत्यवीर हुड्डा को भी सरकार से गरीब बच्चों की शिक्षा पर होने वाला खर्च वहन करने की मांग करनी चाहिए।
निजी स्कूलों की मान्यता रद करे सरकार : हुड्डा
दो जमा पांच मुद्दे जनआंदोलन के अध्यक्ष सत्यवीर हुड्डा का कहना है कि मुफ्त दाखिलों के लिए मना करने वाले निजी स्कूलों की सरकार को मान्यता रद करनी चाहिए। सरकार कार्रवाई के बजाए मूकदर्शक बनी हुई है। जिन पैंतीस हजार बच्चों का दाखिला एसएमएस न मिलने पर नहीं हो पाया है, उसकी स्टेटस रिपोर्ट भी विभाग जिला शिक्षा अधिकारियों से नहीं मंगवा रहा। ये गरीब बच्चों के साथ सरासर अन्याय है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के 14 विभिन्न फैसलों के बाद गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में मुफ्त दाखिले की सुविधा मिली है। राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह हाईकोर्ट के फैसले को लागू कराए। dj
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