** कई प्रावधान पर कड़ी आपत्ति, सहमति से तबादले का मांगेंगे अधिकार
चंडीगढ़ : हरियाणा के शिक्षकों के लिए तैयार नई तबादला नीति पर पेंच
फंसना शुरू हो गए हैं। नीति के प्रारूप का आकलन करने के बाद शिक्षक संगठनों
ने सुझावों की लंबी-चौड़ी फेहरिस्त तैयार कर ली है। जिला स्तर पर शिक्षकों
के साथ बैठकों के बाद जल्द इसे अंतिम रूप देकर निदेशालय को भेज दिया
जाएगा। शिक्षकों को सबसे अधिक आपत्ति नई नीति में सहमति के आधार पर तबादला
का विकल्प न होने को लेकर है। साथ ही तबादले के लिए एक बार विकल्प देने पर
उसे दस साल न बदलने पर भी शिक्षक संगठन ऐतराज जता रहे हैं।
नई नीति के
कई प्रावधान पर शिक्षकों को आपत्ति है। इसलिए बिना संशोधनों के इसे लागू
करना विभाग के लिए आसान नहीं होगा। प्रदेश के सवा लाख शिक्षक लंबे समय से
तबादला नीति का
इंतजार कर रहे हैं। तबादलों में राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते शिक्षकों को
काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। भाजपा सरकार ने शिक्षकों
की इसी दिक्कत को समझते हुए नीति तैयार कराई है। स्कूल शिक्षा विभाग शिक्षक
संगठनों के सुझाव को समाहित कर नीति को लागू करता है तो ये शिक्षकों के
लिए बड़ी राहत होगी।
हर
जिले में करेंगे बैठकें: मलिक
हरियाणा मास्टर वर्ग एसोसिएशन के प्रधान
रमेश मलिक का कहना है कि हर जिले में बैठकें कर शिक्षकों के सुझाव लिए जा
रहे हैं। कई आपत्तियां आई हैं। इन्हें समायोजित कर निदेशालय को भेजा जाएगा।
सुझाव की सूची तैयार होने के बाद वे सेकेंडरी शिक्षा महानिदेशक व प्रधान
सचिव के साथ भी मुलाकात करेंगे।
नीति में ये संशोधन चाह रहे शिक्षक
- तबादले के बाद अध्यापक का ठहराव एक स्थान पर 10 साल बहुत अधिक
- तीन या चार साल से ज्यादा न हो।
- मार्च व सितंबर में प्रमोशन के बाद ही तबादले किए जाएं
- प्रमोशन के बाद वरिष्ठता सूची से स्टेशन आवंटित हो।
- तबादला नीति में छूट सरकार किसी को भी दे सकती है, ये प्रावधान नहीं होना चाहिए।
- घर से अधिकतम दूरी की सीमा तय हो
- महिला शिक्षकों को गर्ल्स स्कूल ही दिए जाएं
- प्वाइंट वितरण में अवार्ड पाने वाले अध्यापकों का ख्याल रखा जाए
- तबादले के स्टेशन का विकल्प बदलने की 10 साल की शर्त खत्म हो।
- विधवा अध्यापिका को केवल विधवा अध्यापिका व विकलांग शिक्षकों का तबादला केवल विकलांग ही करा सकें। dj
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