** खंडवा जिले के डीएम ने जारी किया आदेश, शिक्षकों के और सोशल मीडिया पर विरोध के बाद वापस लिया
खंडवा (मध्यप्रदेश) : जिस सिंहस्थ में दुनिया भर से लोग आकर गुरु दीक्षा ले रहे हैं। उसी सिंहस्थ के नाम से ओंकारेश्वर में शिक्षकों की ड्यूटी जूता-चप्पल की रखवाली में लगा दी गई। आदेश खंडवा के डीएम महेश अग्रवाल ने दिया। आदेश की कॉपी भी जारी कर दी। हालांकि बाद में शिक्षकों ने विराेध शुरू कर दिया। सोशल मीडिया पर भी लोग उनका समर्थन करने लगे। मामले की जानकारी प्रदेश के शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी को हुई। तो उन्होंने इसे वापस लेने को कहा।
दरअसल, उज्जैन सिंहस्थ में स्नान करने के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु ओंकारेश्वर पहुंच रहे हैं। इसी को देखते हुए डीएम महेश अग्रवाल ने प्राचार्यों की ड्यूटी जूता-चप्पल स्टैंड पर लगा दी। आदेश की कॉपी में लिखा 'सिंहस्थ में आने वाले श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ओंकारेश्वर पहुंच रही है। श्रद्धालुओं के जूते-चप्पल की देखभाल के लिए अधिकारियों की ड्यूटी पुराना बस स्टैंड ओंकारेश्वर के जूता-चप्पल स्टैंड पर लगाई जा रही है। यह नौ से 31 मई तक रहेगी। सभी अधिकारी नियमित रूप से निर्धारित स्थान पर ही ड्यूटी करेंगे। वे श्रद्धालुओं के जूते-चप्पल की देखभाल करेंगे। साथ ही सुनिश्चित करेंगे कि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा हो।' बाद में मामले ने जब तूल पकड़ा तो डीएम सफाई देने लगे। उनका कहना है '30 शिक्षकों ने लिखकर दिया था कि हम भी सेवा कार्य करना चाहते हैं। इसी कारण उनकी ड्यूटी लगाई गई। जूता-चप्पल स्टैंड पर उनकी ड्यूटी प्रशासनिक व्यवस्था के तहत लगाई गई थी। जिसमें लोगों को समझाना, अनाउंसमेंट कराना, मंदिर का रास्ता बताना, मदद करना आदि शामिल था। जूता-चप्पल उठाना इसमें शामिल नहीं था। पर शिक्षक संघ ने जब आपत्ति जताई तो उनकी ड्यूटी जूता-चप्पल स्टैंड से हटा दी गई।'
शिक्षा राज्य मंत्री दीपक जोशाी कहते हैं 'सिंहस्थ आध्यात्म का मेला है। शिक्षक या प्राचार्य की ड्यूटी जूता-चप्पल स्टैंड पर लगाने की जानकारी मिली थी। जिसे जिला प्रशासन को तत्काल वापस लेने को कह दिया है।' उधर, शिक्षकों का कहना है कि 'डीएम ने बाध्य करते हुए शिक्षकों को 22 दिनों तक ओंकारेश्वर में जूता-चप्पल स्टैंड देखने को कहा था।' db
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