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Saturday, 7 May 2016

पीटीअाई के कंधों पर 107 विद्यार्थियों की पढ़ाई का जिम्मा

इन्द्री : छठी से आठवीं तक कुल 107 विद्यार्थी…पढ़ाने को अध्यापक एक भी नहीं। ये हाल है उपमंडल के गांव रंदौली के राजकीय माध्यमिक विद्यालय का। स्कूल चलाने की सारी जिम्मेदारी यहां एकमात्र नियमित अध्यापक पीटीआई के कंधों पर ही है। स्कूल में हिंदी, अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान, संस्कृत व ड्राइंग पढ़ाने के लिए पिछले 3 साल से कोई शिक्षक नहीं है। अभिभावकों ने अब स्कूल से अपने बच्चों को निकालना शुरू कर दिया है।
स्कूल में कक्षा छठी में 33 विद्यार्थी हैं जिनमें 17 लड़कियां हैं। कक्षा 7वीं और 8वीं में 37-37 बच्चे हैं। इन विद्यार्थियों को हिन्दी, अंग्रेजी सामाजिक अध्ययन, ड्राइंग व संस्कृत विषय पढ़ाने के लिए अध्यापक उपलब्ध नहीं है। मुख्य शिक्षक, क्लर्क व चपरासी की पोस्ट भी खाली है। समस्या के बारे में ग्राम पंचायत कई बार उच्च अधिकारियों को लिखित में शिकायत दे चुकी है। पिछली पंचायत ने भी हलका विधायक व राज्यमंत्री कर्णदेव काम्बोज से गुहार की थी,  लेकिन समाधान नहीं हुआ। शिकायत मिलने पर विभाग एक-दो महीने के लिए आंतरिक व्यवस्था के तहत कोई अध्यापक किसी अन्य विद्यालय से भेज देता है। कुछ समय बाद वह अध्यापक अपने मूल स्कूल में लौट जाता है और बच्चों की पढ़ाई की समस्या बनी रहती है।
पीटीआई संभाल रहे स्कूल
पीटीआई जयप्रकाश को स्कूल इंचार्ज बनाया गया है, जिन्हें क्लर्क नहीं होने के कारण दस्तावेजों के रखरखाव सहित कई अन्य काम भी करने पड़ रहे हैं। जयप्रकाश का कहना है कि वे शारीरिक शिक्षक हैं। बच्चों को खेलों में खंड से जिला व राज्य स्तर पर ले जाते रहे हैं लेकिन कागजी कामों का अधिक अनुभव उन्हें नहीं है। इसके बावजूद उन्हें मिड-डे-मील का रजिस्टर तैयार करने व हर रोज मांगी जाने वाली डाक तैयार करने का काम भी करना पड़ रहा है। स्कूल में एक पार्ट टाइम अध्यापिका जरूर है जो गणित व विज्ञान पढ़ा लेती है।
क्या कहते हैं पंचायत प्रतिनिधि
सरपंच चरणजीत सिंह, पंचायत सदस्य तेजेन्द्र कुमार, विदुष शर्मा, रितू बाला, सुदेश, ललिता, नरेश कुमार, बलन्द्रि कुमार और गुलजार सिंह का कहना है कि सरकारी उदासीनता के चलते स्कूल बंद होने के कगार पर है। वे स्वयं पढ़े-लिखे हैं और चाहते हैं उनके गांव के बच्चों को सरकारी स्कूल में सारी सुविधाएं और अच्छी पढ़ाई मिले लेकिन अध्यापकों की कमी को वे कैसे पूरा करें। यदि पंचायत के पास अच्छी आमदनी होती तो वे पंचायत की तरफ से भी स्कूल को अध्यापक मुहैया करवाते। उन्होंने कहा कि वे शीघ्र ही राज्यमंत्री कर्णदेव काम्बोज से गुहार लगाएंगे।
"मैं खुद अध्यापकों की कमी से चिंतित हूं। उम्मीद है 2 दिन में पदोन्नति सूची आ जाएगी। जो स्कूल अध्यापकों की कमी झेल रहे हैं, प्राथमिकता के आधार पर वहां नियुक्ति की जाएगी।” -- सरोज बाला गुर, डीईईओ
बच्चों ने कटवाए नाम 
अध्यापकों की कमी के कारण स्कूल छोड़ कर बच्चे या तो निजी विद्यालयों में जाने को मजबूर हैं या फिर दूरदराज के सरकारी स्कूलों में उन्हें जाना पड़ता है। गांव निवासी धर्मपाल ने अपने बेटे मनीष को गांव के स्कूल में दाखिला दिलाया, लेकिन जब देखा कि यहां पर बच्चे की पढ़ाई नहीं हो पाएगी तो बेटे को वहां से हटा लिया। लीला कृष्ण के बेटे प्रवेश ने भी स्कूल छोड़ दिया। अशोक कुमार के छठी में पढ़ने वाले पुत्र कुशल और सातवीं में विकास ने स्कूल को विदा कह दिया। रिषीपाल के 2 बच्चों जागृति ने 8वीं और अमित ने छठी कक्षा से स्कूल छोड़ दिया। सतबीर ने अपने बेटे हर्ष का 7वीं कक्षा से स्कूल छुड़वा दिया। ग्रामीणों ने कहा कि वे एक बार फिर मंत्री कर्णदेव काम्बोज से मिलेंगे। यदि समस्या का समाधान नहीं हुआ तो आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।                                                               dt

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