नई दिल्ली : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नोटिफिकेशन के विरोध
में दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के सैकड़ों शिक्षकों ने छात्रों की उत्तर
पुस्तिकाओं का मूल्यांकन मंगलवार को नहीं किया। विरोध में डीयू के सभी
शिक्षक संगठन शामिल हैं। उन्होंने 28 मई तक मूल्यांकन न करने का फैसला लिया
है। मांगें नहीं मानने पर 28 मई से स्नातक में दाखिले के लिए शुरू हो रही
आवेदन प्रक्रिया का भी विरोध करने का आह्वान किया है। मंगलवार को नार्थ और
साउथ कैंपस में मूल्यांकन केंद्रों में से कुछ में जहां ताले लगे थे, वहीं
कई जगह कुर्सियां खाली रहीं। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) की
अध्यक्ष नंदिता नारायण ने कहा कि यह निर्णायक लड़ाई है। तदर्थ शिक्षकों की
स्थाई नियुक्ति न कर उन्हें नौकरी से निकालना गलत है। डूटा के पूर्व
अध्यक्ष आदित्य नारायण मिश्र का कहना है कि यूजीसी गजट अधिसूचना (तीसरा
संशोधन)2016 के विरोध में शिक्षकों ने भरपूर साथ दिया है। विरोध जारी
रहेगा। यूजीसी की अधिसूचना से हजारों तदर्थ शिक्षक बेरोजगार हो जाएंगे। वे
कई साल से डीयू में पढ़ा रहे हैं और स्थायी नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं।
गैर अकादमिक प्वाइंट सिस्टम जोकि पूर्व की तारीख से लागू होता है, उसने
प्रोन्नति को खत्म कर दिया हैं। इस अधिसूचना के नियमों से पता चलता है कि
इससे सरकारी विश्वविद्यालयों का खात्मा होगा और अध्यापन और शोध की गुणवत्ता
भी प्रभावित होगी। नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के अध्यक्ष प्रो. एके
भागी ने कहा कि यूजीसी के इस निर्णय का हम विरोध करते हैं। शिक्षकों के इस
आंदोलन को एनएसयूआइ, एसएफआइ और क्रांतिकारी युवा संगठन ने भी समर्थन दिया
है।
यह है फरमान :
यूजीसी के फरमान के तहत 40 से 50 फीसद स्थाई शिक्षकों के
काम के घंटे बढ़ाने की बात कही गई है, जिससे इसी अनुपात में तदर्थ शिक्षक
बेरोजगार होंगे। अब असिस्टेंट प्रोफेसर को 16 घंटे की जगह 24 घंटे प्रति
सप्ताह और एसोसिएट प्रोफेसर को 14 घंटे की जगह 22 घंटे प्रति सप्ताह पढ़ाना
होगा। dj
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