भिवानी : आठवीं कक्षा तक लगातार बगैर पढ़ाई के ही पास होते आ रहे म्हारे लालों ने पहली बार बोर्ड की परीक्षा दी और पचास फीसदी से ज्यादा फेल हो गए। पूर्व में परीक्षा सुधार के नाम से धक्का लगाकर पास करने की परिपाटी रही तो अब वास्तविक रिजल्ट आया तो परिणाम कड़वे आए। बोर्ड प्रशासन आशान्वित है कि पिछले साल की तुलना में सुधार हुआ है और भविष्य में अच्छे दिन आएंगे।
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के दसवीं कक्षा के परिणाम पिछले वर्ष की तुलना में तो सुधरे पर पिछले छह वर्षो की तुलना में 20 प्रतिशत तक कम रहे हैं। हालांकि रिजल्ट कम आने के पीछे का तर्क मॉडरेशन न करना माना जा रहा है। बोर्ड प्रशासन का कहना है कि यह रिजल्ट छात्रों का वास्तविक रिजल्ट है। इसमें नंबर बढ़ाने का कोई प्रयास नहीं किया गया है।
इससे पूर्व रिजल्ट सुधारने के नाम पर मॉडरेशन किया जाता था, जिसकी वजह से परिणाम 70 फीसद तक पहुंच जाते थे। लेकिन पिछले दो वर्षो से स्थिति बदली है और परिणाम 50 फीसद से नीचे ही रह जाते हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश में चालू शिक्षा सत्र तक आठवीं कक्षा में फेल होने करने की परिपाटी समाप्त की हुई थी। पहली कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक बगैर पढ़े ही बच्चे सीधे नौवीं कक्षा में प्रवेश कर जाते थे। नौवीं कक्षा में भी घरेलू परीक्षा का प्रावधान है और जैसे-तैसे वे दसवीं तक पहुंच जाते हैं। लेकिन दसवीं कक्षा में हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड परीक्षा लेता है और नौवीं तक 100 प्रतिशत पास होने वाले बच्चों में से इस परीक्षा को पास करने में 50 फीसद से ज्यादा बच्चे फेल हो जाते हैं। हालांकि नई भाजपा सरकार ने अब तीसरी व आठवीं कक्षा में भी बोर्ड लागू करने का प्रावधान करने की तैयारी की हुई है, जिससे शिक्षा में सुधार की संभावनाएं नजर आने लगी हैं।
पिछले छह वर्ष की स्थिति।
2016 48.88%
2015 45.80 %
2014 60.84%
2013 50.79%
2012 65.38%
2011 68.03%
"पूर्व में रिजल्ट सुधारने की परिपाटी रही है। इस बार परिणाम वास्तविक जारी किए गए हैं। बोर्ड का कार्य परीक्षा लेना है। यदि रिजल्ट कम या ज्यादा आता है तो इसके लिए शिक्षा विभाग को देखना होता है। "-- पंकज, सचिव, शिक्षा बोर्ड। dj
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.