** सैद्धांतिक रूप से कई राज्य साझा परीक्षा के पक्ष में, लेकिन लागू
करने में कई परेशानियां
नई दिल्ली : सरकार ने संकेत दिया है कि वह मेडिकल और डेंटल के लिए
राष्ट्रीय स्तर पर एक ही प्रवेश परीक्षा नीट (नेशनल एलिजिबिलिटी कम
एंट्रेंस टेस्ट) को रुकवाने के लिए कदम उठा सकती है। केंद्रीय वित्त मंत्री
अरुण जेटली ने इस संदर्भ में न्यायपालिका के आदेश को कार्यपालिका के
अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण बताया है। उधर, राज्यों के साथ बैठक के बाद
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भी कहा कि राज्यों को इसे तुरंत लागू करने
में कई समस्याएं हैं। सर्वदलीय बैठक के दौरान भी विभिन्न राजनीतिक दलों ने
इसे तुरंत लागू करने को लेकर चिंता जताई।
जेटली ने सोमवार को कहा कि
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दे दिया है। अब सरकार को देखना है कि वह क्या
कर सकती है। राज्यों का मानना है कि उनके बोर्ड समान नहीं हैं। उनकी भाषाएं
समान नहीं हैं। इतनी असमानताओं के बावजूद उन्हें एक ही पैमाने पर कैसे
बैठाया जा सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने भी राज्यों के
स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ बैठक की। 18 राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ
हुई इस बैठक के बाद उन्होंने कहा, ‘अधिकतर राज्य सैद्धांतिक रूप से नीट के
पक्ष में हैं। लेकिन कुछ राज्यों ने कहा है कि इसे लागू करवाने में अड़चनें
आ रही हैं। इसलिए उन्हें कुछ समय और चाहिए।’ उन्होंने कहा कि राज्यों ने
भी माना है कि मेडिकल शिक्षा में चल रहे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने और
पारदर्शिता लाने में यह मददगार साबित होगा। लेकिन इसे लागू करवाने को लेकर
राज्यों की अपनी-अपनी समस्याएं हैं।
कई जगह राज्यों के कॉलेजों में दाखिले
के लिए परीक्षा की प्रक्रिया चल रही है या फिर जल्द शुरू होने वाली है।
इसी तरह कई राज्यों ने कहा कि उनके यहां मेडिकल परीक्षा में राज्य के स्कूल
बोर्ड के आधार पर प्रश्न पूछे जाते हैं, जबकि नीट में सीबीएसई पाठ्यक्रम
के आधार पर प्रश्न होते हैं। हंिदूी और अंग्रेजी के अलावा राज्यों ने इसे
अन्य भाषाओं में भी आयोजित करवाने की जरूरत बताई है। dj
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