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Friday, 19 July 2013

स्कूलों में शुद्ध नहीं रह पाता खाना


फरीदाबाद : खाना गर्म व स्वाद भी कुछ ठीक, पर बर्तन व हाथ धोने के लिए पर्याप्त पानी का अभाव। टंकियों की बजाय पानी पूरे स्कूल प्रांगण में भरा हुआ। दलिया व खिचड़ी खाने के लिए चम्मच नहीं। ऐसे में 452 स्कूलों के 80 हजार बच्चों के पेट के अंदर जाने वाले मिड डे मील की गुणवत्ता का अंदाजा स्वत: ही लगाया जा सकता है। मिड डे मील की गुणवत्ता का जायजा लेने पहुंची जागरण टीम को बृहस्पतिवार को राजकीय स्कूलों में यही कुछ देखने को मिला।
हाथ से खाना पड़ता है दलिया :
गांव फतेहपुर चंदीला के राजकीय उच्च विद्यालय में मिड डे मील समय पर पहुंच गया, खाना गर्म भी मिला, पर यहां 500 से अधिक बच्चों को एक ही समय में खाना परोसने के लिए मात्र 50 प्लेट ही मिली। बच्चे प्लेट में डला दलिया चम्मच के अभाव में हाथ से ही खाते नजर आए।
कुछ बच्चे घर से लेकर आने लगे खाना :
बिहार के सारण जिले में मिड डे मील का खाना खाने से 22 बच्चों की मौत का खौफ सरकारी स्कूलों के बच्चों पर भी नजर आया। छात्रा मनीषा, बलजीत कौर, पूजा, भावना, संजना ने कहा कि उन्होंने अखबारों में खबर पढ़ी और टीवी पर सुना, तो हमें स्कूल में मिलने वाला भोजन खाने से हिचक हो रही है। हम घर से ही खाना लेकर आए हैं।
गंदा पानी के बीच बंटता है भोजन :
राजकीय स्कूल फतेहपुर चंदीला, बड़खल, अनखीर व एन.एच.एक में बरसात का पानी स्कूल प्रांगण में तो फैला नजर आया, जिस पर मच्छर पनप रहे थे। इसी वातावरण में मिड डे मील का भोजन भी बंट रहा था।
स्वच्छ पानी नहीं, तो हाथ कैसे धुलें :
राजकीय स्कूलों की टंकियां सूखी नजर आई। बर्तन धोने के लिए तो आसपास से बाल्टी में पानी लाया गया, पर भोजन खाने से पहले हाथ धोने के लिए पानी का प्रबंध नहीं।
कमेटी गठित, पर कभी जांच नहीं :
पिछले वर्ष प्रदेश के मौलिक शिक्षा निदेशक डा.अभय सिंह यादव ने मिड डे मील की समय-समय पर गुणवत्ता परखने के लिए प्रत्येक जिले में कमेटी गठित की थी। जिसमें जिले के प्रशासनिक अधिकारी, शिक्षा अधिकारी, चिकित्सक, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारी आदि शामिल थे, पर एक आध मौके को छोड़ कर यह कमेटी कभी भी सक्रिय नजर नहीं आई और न ही आज तक कोई नमूने लिए गए।
रिपोर्ट फाइलों में बंद :
दिसंबर-2012 में तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी ने अपने मातहत अधिकारियों को मिड डे मील की जांच सौंपी थी। कुछ स्कूलों के खाने में कांच के टुकड़े व कहीं प्लास्टिक मिला था। इस पर रिपोर्ट बनी थी, जिस पर आगे की कार्रवाई के लिए चंडीगढ़ भेजा गया था। इसके बाद रिपोर्ट फाइल में ही दब कर रह गई।
प्रदेश में सब कुछ ठीक है :
"बिहार की घटना दुखदायी है, पर अपने हरियाणा के स्कूलों में मिड डे मील की गुणवत्ता को लेकर कोई शिकायत नहीं है। उन्हें कोई आशंका भी नहीं है। जांच के लिए अधिकारियों को पहले ही आदेश जारी किए जा चुके हैं। बिहार की घटना के बाद अधिकारियों को फिर सचेत रहने के लिए कहा गया है।"-राव दान सिंह, संसदीय सचिव शिक्षा, नगर एवं ग्राम आयोजन, हरियाणा
दे दिए हैं चौकसी के आदेश :
"समय-समय पर भोजन की जांच होती है। अधिकारी पूरी तरह से चौकस हैं। हालांकि जिला शिक्षा अधिकारी को फिर से निर्देश दिए गए हैं कि इस मामले में कोई कोताही न बरती जाए।" -बलराज सिंह, जिला उपायुक्त फरीदाबाद  ..dj

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