चंडीगढ़। हरियाणा के सरकारी स्कूली में विद्यार्थियों का कंप्यूटर ज्ञान बढ़ाने और नवीनतम सिलेबस के अनुसार बिना शिक्षक के पुस्तक पढ़ाने के लिए करीब 500 करोड़ रुपये की दो योजनाएं शुरू की गईं। लेकिन दोनों योजनाएं फ्लाप साबित हो रही हैं। शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल भी दोनों योजनाओं से नाखुश हैं। मगर सिस्टम इन दोनों योजनाओं पर इतना भारी हो गया है कि करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद इनका फायदा नहीं मिल रहा है। हरियाणा के सभी सरकारी स्कूलों, कालेजों में करीब 150 करोड़ रुपये की लागत से एजुसेट लगाए गए थे। अधिकतर स्कूल ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं और गांवों में स्कूल समय बिजली काफी कम होती है इसलिए ये एजुसेट चल ही नहीं सके। बिना चले इन एजुसेटों की बैटरियां तीन साल पूरा होने पर खत्म हो गई। इसका प्रसारण पंचकूला से होता है। जिस नेटवर्क के जरिये प्रसारण होना था उसे भी बदलने की जरूरत रही। नवंबर, 2005 में शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल बनीं और पहले दिन से ही एजुसेट सिस्टम को दुरुस्त करने में जुट गईं। उन्होंने बैटरियां बदलवाने और प्रसारण का नेटवर्क बदलवाने का काम करवाने का फैसला करवाया। नेटवर्क तो इसरो ने बदल दिया है मगर सभी एजुसेटों की बैटरियां अभी तक बदली नहीं जा सकी हैं। इस समय करीब 65 फीसदी स्कूलों में एजुसेट तो ठीक हैं मगर बिजली की समस्या के कारण वे भी नहीं चल पाते हैं। कुछ स्कूलों से एजूसेट ही चोरी गए हैं। पिछले साल करीब 350 करोड़ रुपये की लागत से हरियाणा के सभी स्कूलों में कंप्यूटर एजूकेशन देने के लिए कंप्यूटर लैब स्थापित की गईं। हजारों की संख्या में कंप्यूटर लगाए जा चुके हैं। इसका मकसद बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा देना है मगर एक साल से कंप्यूटर टीचरों के वेतन का फैसला नहीं हो रहा है। वित्त विभाग मंजूरी नहीं दे रहा है जिसके कारण इस योजना का भी लाभ नहीं मिल सका है। ..au
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