बिहार में मिड-डे मील खाने से 22 बच्चों की मौत की घटना के बाद हरियाणा सरकार ने आनन-फानन में कई निर्देश जारी किए। मिड-डे मील खुले में बनाने पर रोक लगा दी। बच्चों को खाना परोसने से पहले स्कूल मुखिया को खुद खाना चखने को भी कहा गया। सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी, खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी समय-समय पर स्कूलों में खाने का निरीक्षण और गुणवत्ता की जांच करने को कहा गया, लेकिन हकीकत यह है-
भिवानी : राजकीय व.मा. विद्यालय चांग में खुले मे पेड़ों के नीच खाना बनाती मिड-डे मील कर्मचारी। चावल में लगा घुन-सुरसियां, मकड़ी और सड़ा हुआ गेहूं।
कैथल: राजकीय प्राथमिठ पाठशाला नानकपुरी कालोनी में मिड-डे मिल खाने के लिए बर्तन बांटते बच्चे।
चावल में घुण :
अम्बाला सिटी : अनाज की गुणवत्ता में कमी मिली। अधिकतर स्कूलों में घटिया क्वालिटी का चावल व गेहूं सप्लाई किया गया था। कई स्कूलों में चावल में घुण लगा हुआ था और उनमें कंकड़ थे। मिड डे मील बनाने के दौरान सफाई व्यवस्था का ध्यान नहीं रखा जा रहा था। जगह के इर्द गिर्द मक्खियों की भरमार थी। मिड-डे मील में जली हुई दाल ही बच्चों को परोसी गई।
रसोई न होने की दुहाई :
यमुनानगर : अधिकारियों के स्कूलों में औचक निरीक्षण के बाद मिड डे मिल की क्वालिटी में सुधार तो आया है। लेकिन कई स्कूलों में मिड डे मिल का भोजन अब भी खुले में ही बन रहा है। स्कूल के प्रिंसिपल सरकार द्वारा रसोई न बनाए जाने की दुहाई दे रहे हैं। खुले में उपलों पर भोजन बनने से धुंआ बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है।
खुले में खाना मजबूरी:
कोसली : समय दोपहर 12 बजे, राजकीय वरिष्ठ माध्यामिक विद्यालय भाकली के स्कूल की घंटी बजती हैं। विद्यार्थी टिफन लेकर भोजन के लिए खुले में बनी रसोई की तरफ दौडते हैं। खाना पकाने वाली दो बुजुर्ग महिला 2 बड़े पतीलों में चावल व आलू छोले की सब्जी लेकर खुल्ले आसमान के नीचे बैठी हुई दिखाई देती हैं। न कोई पंक्ती न कोई अध्यापक नजदीक।
जिले में इस स्कीम को लेकर दोहरी नीति है। कुछ स्कूलों के लिए जहां इस्कॉन मिड-डे मील तैयार करता है वहीं बाबैन, शाहाबाद व इस्माइलाबाद के कई स्कूलों में ही मील तैयार किया जाता है। मिर्जापुर स्थित इस्कॉन केंद्र पर जब दैनिक भास्कर की टीम पहुंची तो पाया कि मिड-डे मील एक दो नहीं बल्कि तीन स्तरों से चैक होने के बाद बच्चों के थाली तक पहुंचता है।
नारनौल : नांगल चौधरी प्राथमिक पाठशाला मेंभोजन खाने से एक बच्चे की तबीयत भी खराब हो गई थी। इसके पीछे मुख्य कारण स्कूलों में बनी किचन में साफ सफाई की कमी व इसका छोटा होना बताया जाता है। खुले में खाना पक रहा है। समय पर गैस सिलेंडर ना मिलने के कारण लकडिय़ों के भरोसे की भोजन बनता है।
कैथल : जिला के लगभग आधे से अधिक स्कूलों में मिड-डे मील बनाने के लिए रसोई ही नहीं। सिरसल स्कूल के बच्चे तो धान के जहरीले पानी में बर्तन साफ करते हैं। हर जगह गैस सिलेंडर नहीं है। जहां है वहां भी उपलों और लकडिय़ों पर खाना बनता है। स्कूल इंचार्ज कहते हैं कि सिलेंडर जल्दी खत्म हो जाता है।
सिरसा : ओढ़ां क्षेत्र के गांव जलालआना के राजकीय हाई व प्राइमरी स्कूल में बीती 16 जुलाई से मिडडे मील ही नहीं बन रहा। उधर, रानियां के ओटू गांव के राजकीय प्राथमिक स्कूल में दलिए में घुन लगा हुआ पाया गया। इसी गांव के राजकीय माध्यमिक स्कूल में मिडडे मील के नाम पर बनी खीर में मच्छर व मक्खी थीं। डबवाली उपमंडल के गांव अबूबशहर में मिड-डे मील का स्टाक ही निल पाया गया।
भिवानी : ढाणी चांग के राजकीय प्राइमरी स्कूल में मिड डे मिल की स्थिति जाननी चाही तो पाया कि वहां पर पीने के लिए पानी ही नही था। सूखी पड़ी पानी की टंकी व पानी के लिए रखे दो घड़े व दो कैंपर इस बात की पुष्टि कर रहे थे कि 120 बच्चों के लिए भोजन तैयार करने, बर्तन साफ करने तथा पेयजल के लिए क्या व्यवस्था होगी। मिड-डे मील का राशन चैक किया तो पाया कि गेंहू तथा चावल में सुरसी लगी हुई थी। एमडीएम इंचार्ज अनिल कुमार ने बताया कि स्कूल मे ६० बच्चे हैं लेकिन विभाग की तरफ से थालियां सिर्फ ५० ही दी गई हैं। थालियां कम होने के कारण ही काफी बार दो बच्चे एक साथ खाना खा लेते हैं। यहीं के राजकीय माध्यमिक विद्यालय चैहड़ खुर्द में खाद्यान्न रखने के लिए कनस्तर नहीं थे। सामान कमरे में बिखरा पड़ा था। गेहूं में सुरसी भी हो चली थी। प्राचार्य राजकुमार ने बताया कि मौसम के चलते दो तीन दिन से सुरसी हुई है।
टोहाना : यहां तो राशन भी दूसरे स्कूलों से उधार लेकर मिड डे मिल बनाया जा रहा है। राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विधालय तथा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विधालय भूना में कुछ चावलों की बोरी में सुरसरी चलती हुई पाई गई।
रोहतक : दतौड़ के राजकीय स्कूल में मिड-डे मील के लिए रखे चावलों में सुरसी व कीड़े मिले। स्कूल प्रभारी से बात की तो उन्होंने बताया कि दो बैग चावल के खराब हैं। इसके बारे में अफसरों को बता दिया गया है, उनको बदलने के लिए अलग रखा गया है।
तोशाम : गांव सरल स्थित राजकीय प्राथमिक पाठशाला में गेहूं की स्थिति तो यह थी कि एक भी दाना सुरक्षित नही था। पूरी तरह से सुरसियों ने खाया हुआ था। चावल भी टुकड़ों में बंटा हुआ था तथा उसकी क्वालिटी निम्न स्तर की थी। कृष्णा देवी ने बताया कि हमें इस तरह का खाद्यान्न प्राप्त हुआ था।
फतेहाबाद : अशोक नगर स्थिति राजकीय स्कूल में तो राशन शौचालय के के पास ही बनता है, वह भी खुले में। यहां दलिया को सुरसरी लगी हुई थीं। भोडियाखेड़ा स्थित प्राइमरी स्कूल में तो बर्तन ही ठीक ढंग से नहीं धोए गए थे। शक्ति नगर स्थित प्राइमरी स्कूल में पतीले को बिना धोए ही प्रयोग किया जा रहा था। ..db
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