सोनीपत : भले ही प्रदेश की प्रति व्यक्ति इनकम बढ़ी हो, लेकिन बच्चे एनीमिया की चपेट में आ रहे हैं। इसका खुलासा वर्ष 2012 में आईबीएसवाई कार्यक्रम के तहत प्रदेश भर के स्कूलों में बच्चों की जांच रिपोर्ट में हुआ। रिपोर्ट में बताया गया है कि करीब 71 प्रतिशत बच्चे एनीमिया से पीडि़त हैं। रिपोर्ट को देख स्वास्थ्य विभाग ने वीकली आयरन फोलिक एसिड सप्लीमेंट्स ((डब्ल्यूआईएफएस)) कार्यक्रम चलाने का निर्णय लिया है। जिले में यह कार्यक्रम 22 जुलाई से शुरू होगा। इसके लिए एडीसी एसबी लोहिया की अध्यक्षता में सामान्य अस्पताल में बैठक हुई। बैठक में शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया। सिविल सर्जन डा.सुरेश चंद्र ने अभियान का महत्व और दवा देने के तरीके के बारे में जानकारी दी। एडीसी ने बच्चों के अभिभावकों से अपील की कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी जाने वाली गोली का सेवन बच्चों को अवश्य कराएं। इससे उनके शरीर की खून की कमी दूर होगी तथा चुस्ती-फूर्ति में वृद्धि होगी। बैठक में डिप्टी सिविल सर्जन डा.जेएस पूनिया, डा.जयकिशोर, सभी खंड शिक्षा अधिकारी, खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी, सीडीपीओ आदि मौजूद थे।
कैसे लें आयरन की गोली
गोली को खाली पेट नहीं लेना चाहिए। खाना खाने के बाद एक गिलास पानी के साथ दवा लेनी चाहिए। यदि गोली खाने से उल्टी व पेट दर्द की शिकायत हो तो नींबू पानी व गोली खाने के बाद ज्यादा मात्रा में पानी पीएं। इससे शिकायत दूर हो जाएगी।
बच्चों के साथ गुरूजी भी खाएंगे गोली
गोली केवल बच्चे ही नहीं खाएंगे। इस बार विभाग द्वारा गुरूजी को भी गोली खाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। उनकी भी जांच होगी। यदि एनीमिया की शिकायत मिली तो उन्हें भी सप्ताह में एक गोली खिलाई जाएगी। डिप्टी सिविल सर्जन डा.सुखबीर ने बताया कि टीचरों को गोली खिलाने का मुख्य उद्देश्य बच्चों को जागरूक करना है। यदि बच्चों को बताया जाए कि टीचर भी यह गोली खाते हैं तो वे गोली खाने में हिचकेंगे नहीं। इससे बच्चों में एनीमिया की कमी को दूर किया जा सकेगा।
हर सोमवार को दी जाएगी गोली
सिविल सर्जन डा.सुरेश चंद्र ने बताया कि अभियान के दौरान यह गोली सभी सरकारी, अर्ध सरकारी स्कूलों में छठी से 12वीं कक्षा के छात्रों को दी जाएगी। यह गोली मिड-डे-मिल या फिर लंच के बाद खिलानी होगी। यह नीली गोली सप्ताह में एक बार सोमवार के दिन दी जाएगी। कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से चलाया जाए, इसका प्रयास किया जा रहा है। इसलिए प्रत्येक माह सेंटर से पीएचसी और सीएचसी को रिपोर्ट देनी होगी। बाद में यह रिपोर्ट सीएमओ के माध्यम से मुख्यालय को भेजी जाएगी।
जिले में 63.82 बच्चों में एनीमिया
इंदिरा बाल स्वास्थ्य योजना के तहत वर्ष 2012 में स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की जांच की गई थी। कार्यक्रम अधिकारी डा.सुखबीर सिंह ने बताया कि जिले में करीब 94052 विद्यार्थियों की जांच की गई थी, जिसमें 60094 विद्यार्थी एनीमिया से ग्रसित पाए गए थे। विभाग इन बच्चों को भी दवा वितरित करेगा। ..db
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