भिवानी : हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड और पुस्तक छापने वाली कंपनी के बीच बना विवाद अब सुलझता नजर आ रहा है। तीन दिन तक चंडीगढ़ में हुई शिक्षा विभाग अधिकारियों, बोर्ड अधिकारियों व कंपनी प्रतिनिधियों की बैठक के बाद अब कंपनी पुस्तकों की सप्लाई करने को तैयार हो गई है। यानी जल्द ही स्कूलों में बच्चों के हाथों में पुस्तकें होंगी। अगस्त तक सभी जिलों में पुस्तकों की पूरी सप्लाई होने की उम्मीद है।
वहीं बैठक में बोर्ड अधिकारियों ने किसी तरह की एडवांस पेमेंट करने से कंपनी को साफ इंकार कर दिया है। साथ ही बुक सप्लाई का टेंडर पूरा होने के बाद कंपनी के खिलाफ कार्रवाई के भी संकेत दिए है।
एडवांस से अधिकारियों का इंकार:
पुस्तकें छापने वाली कंपनी ने कुछेक पुस्तकें स्कूलों में भेजी मगर बाद में सप्लाई बंद कर दी। कुछ दिन पूर्व कंपनी ने करीब 10 करोड़ की एडवांस पेमेंट की मांग की। जिससे शिक्षा विभाग और हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की सांसें फूल गईं। उच्च अधिकारियों की बैठक हुई और कंपनी को साफ संकेत दे दिए कि किसी तरह की एडवांस पेमेंट नहीं की जाएगी। कंपनी पर अधिकारियों ने पुस्तकें सप्लाई के लिए दबाव डाला और एक बांड भी भरवा लिया। कंपनी प्रतिनिधि अब सप्लाई को तैयार हो गए हैं और जल्द ही सभी जिलों में पुस्तकों की सप्लाई हो जाएगी।
2012 में दिया था ऑर्डर :
सरकार के निर्देश पर पहली से 10वीं कक्षा तक के बच्चों के लिए किताबें छापने का टेंडर सितंबर 2012 में निकाला गया था। टेंडर के बाद नोएडा की गोपसन पेपर प्राइवेट लि. और मुंबई की प्रिंटक ग्राफिक्स इंडिया लि. को किताबें छापने का टेंडर मिला था। पहली व दूसरी कक्षा की किताबें नोएडा की कंपनी को छापनी थीं और तीसरी से 10वीं तक की किताबें छापने की जिम्मेवारी मुंबई की कंपनी को दी गई थी। दिसंबर 2012 में दोनों कंपनियों को आर्डर भी दे दिया गया। उस समय दोनों कंपनियों को 90 दिन के अंदर पुस्तकें स्कूलों में भेजने के निर्देश दिए गए थे। पहली और दूसरी कक्षाओं की पुस्तकें तो स्कूलों में पहुंची मगर बाकी कक्षाओं की पुस्तकें अभी तक स्कूलों में नहीं पहुंची है। ..DB
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