सरकार ने प्रदेश के मिडिल स्कूलों में हिंदी अध्यापकों के करीब 4500 पद खत्म करने की तैयारी कर ली है। इससे हजारों छात्रों के भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है। साथ ही प्रभावित शिक्षक भी जबरदस्त गुस्से में हैं। इन शिक्षकों का कहना है कि सरकार संस्कृत के शिक्षक से ही हिंदी पढ़वाना चाह रही है। जबकि संस्कृत और हिंदी पढ़ाने में काफी अंतर है। उदाहरण के तौर पर संस्कृत में तीन वचन होते हैं, जबकि हिंदी में दो ही वचन होते हैं। इसी तरह से हिंदी में केवल दो लिंग-स्त्रीलिंग और पुलिंग होते हैं। जबकि संस्कृत में ये तीन प्रकार के होते हैं।
राष्ट्रभाषा के साथ हरियाणा में हो रहा सौतेला व्यवहार :
हरियाणा राजकीय हिंदी अध्यापक संघ ने इस संबंध में शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल को ज्ञापन भी सौंपा है। संघ के प्रदेशाध्यक्ष जसबीर सैनी ने बताया कि अन्य विषयों की तुलना में हिंदी के अध्यापकों का वर्कलोड ज्यादा है। अन्य विषयों में साप्ताहिक वर्कलोड १5-15 पीरियड का है, जबकि हिंदी में 18 पीरियड का है। इस पर भी कम वर्कलोड वाले पद तो मिडिल स्कूलों में सरकार ने स्वीकृत कर दिए हैं, जबकि हिंदी अध्यापक का पद स्वीकृत ही नहीं किया। हिंदी राष्ट्रभाषा होते हुए भी हरियाणा में इस भाषा के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।
प्रदेश में 15 हजार गेस्ट टीचर हो जाएंगे सरप्लस :
रेशनेलाइजेशन की सबसे बड़ी मार तो सीधी गेस्ट टीचर पर पडऩे जा रही है। इस समय प्रदेश में 15 हजार गेस्ट टीचर हैं। इनमें 6356 जेबीटी। 3100 मैथ। 2920 भाषा के टीचर हैं। हरियाणा अतिथि अध्यापक संघ के स्टेट प्रधान अरुण मलिक ने बताया कि हमारी मांग है कि सीबीएसई का तरीका अपनाया जाए। कक्षा में बच्चों की संख्या अधिक होने पर दो सेक्शन करने चाहिएं। यदि यह तरीका अपनाया जाए तो गेस्ट टीचर एडजेस्ट हो सकते हैं, लेकिन यदि यह तरीका नहीं अपनाया जाता तो गेस्ट टीचर्स के पद समाप्त हो सकते हैं। दूसरी ओर अन्य विषयों की तुलना में हिंदी के अध्यापकों का वर्कलोड ज्यादा है।
बेस हो जाएगा कमजोर :
शिक्षाविद् विरेंद्र सिंह के का कहना है कि राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत पहली से दसवीं तक बच्चे को फेल न करने का प्रावधान है। हिंदी और मैथ अध्यापकों के पद समाप्त होने से बच्चों का बेस कमजोर हो जाएगा। क्योंकि आगे चल कर इंजीनियरिंग में मैथ की भूमिका अधिक होती है। हरियाणा यूं भी हिंदी भाषी राज्य है, इसलिए लिटरेचर और इसी तरह के फिल्ड में आगे जाने के लिए इस विषय में पकड़ होना जरूरी है।
इसलिए आई दिक्कत :
संघ के प्रदेशाध्यक्ष के अनुसार मिडिल में भाषा अध्यापक का एक पद है। लेकिन इसमें संस्कृत को पहले नंबर पर रखा गया है। ऐसे में जिस स्कूल में भाषा अध्यापक के दो पद हैं, तो वहां पहला संस्कृत और दूसरा हिंदी भाषा का अध्यापक होगा। लेकिन जहां एक ही अध्यापक की जरूरत है तो वहां संस्कृत का अध्यापक रखा जाएगा। इस तरह से हिंदी अध्यापक का पद सरप्लस हो गया है।
आज प्रदर्शन पंचकूला में :
प्रधान ने बताया कि आज ही संघ की ओर से पंचकूला में विशाल प्रदर्शन किया जाएगा। यदि उनकी मांग की ओर ध्यान नहीं दिया गया तो आंदोलन तेज किया जाएगा।
मिडिल कक्षा में अब रखी गई हैं 3 पोस्ट :
अब तक यह रहा है कि स्कूल में 61 बच्चे नहीं होंगे तो दूसरा टीचर नहीं मिलेगा। बच्चों का ग्रुप बनाया है। मिडिल कक्षा में अब तीन पोस्ट रखी गई हैं। इसमें अंग्रेजी अध्यापक सामाजिक पढ़ाएंगे, संस्कृत के अध्यापक हिंदी पढ़ाएंगे और विज्ञान के अध्यापक गणित पढ़ाएंगे। रेशनेलाइजेशन नीति के तहत सरकार ने प्रदेश के सभी मिडिल स्कूल में हिंदी अध्यापक के पदों को सरप्लस घोषित कर दिया है। इसी आधार पर इन पदों को समाप्त किया जा रहा है। ..db
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