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Monday, 28 July 2014

स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल होगा चिकनगुनिया

** छात्र पर्यावरण स्टडी के साथ-साथ बीमारियों के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे
विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए शिक्षा विभाग की ओर से अब बीमारियों की जानकारी को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है। जिससे विद्यार्थी स्कूली समय में ही बीमारी के कारण एवं उनसे बचाव के बार में जान सकेंगे। हालांकि विज्ञान विषय के अन्तर्गत दसवीं में बच्चों को वैसे ही डेंगू मलेरिया के बारे में पढ़ाया जाता है, लेकिन अब इसमें चिकनगुनिया को शामिल किया गया है। 
जानकारी के अनुसार सीबीएसई ने बदले गए पैटर्न में 10वीं एवं 12वीं कक्षा में बीमारियों के जागरूक करने के लिए इस पर महत्व दिया है। बदले गए सेमेस्टर में बाकायदा 12वीं में बायोलॉजी विषय में दो नए चैप्टर जोड़ दिए हैं। इसमें डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों से छात्रों को सतर्क रखने की दिशा में सीबीएसई ने यह पहल की है। बायोलॉजी पढ़ने वाले छात्र पर्यावरण स्टडी के साथ-साथ बीमारियों के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे। इसके लिए विशेष प्रस्ताव तैयार किए गए हैं। 
बोर्ड लागू कर रहा कोर्स, लेकिन स्कूल रहे है कतरा : 
सेंट्रल बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (सीबीएसई) द्वारा जहां हर वर्ष एक के बाद एक वोकेशनल कोर्स बढ़ते जा रहा हैं और स्कूलों से कोर्सों को लागू करने के लिए कहा जा रहा है, वहीं स्कूल वोकेशनल कोर्स लागू करने से कतरा रहे हैं। उनके सामने सबसे ज्यादा समस्या शिक्षकों की है। सहाेदय के अध्यक्ष वीके मित्तल बताते हैं कि वोकेशनल कोर्स के शिक्षक भी 20 से 25 हजार रुपए हर महीने सैलरी लेते हैं और बच्चे दो से चार ही रहते हैं।
यूजीसी ने वोकेशनल कोर्स की दी मान्यता : 
दसवीं तक वोकेशनल कोर्स करने वाले बच्चे आने वाले समय में काॅलेजों में भी वोकेशनल कोर्स को एक विषय के रूप में पढ़ सकेंगे। सीबीएसई की मांग पर यूजीसी ने इस पर मुहर लगा दी है। 
राजकीय स्कूलों ने शुरू किए वोकेशनल कोर्स : 
शुरुआती दौर में 7 वोकेशनल कोर्स चलाए जा रहे हैं। इसमें रिटेल के अलावा ऑटोमोबाइल, आईटी, ब्यूटी एंड विजिलेंस, पैंशट केयर, सिक्योरिटी, फिजिकल एजुकेशन आदि शामिल हैं।                                 dbsnpt

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