हिसार : शिक्षा सेवा नियम 2012 के मुताबिक हिंदी, संस्कृत और पंजाबी के शिक्षकों का पदोन्नति कोटा 25 फीसदी से बढ़ाकर 33 प्रतिशत किया जा चुका है। इसके बावजूद प्राइमरी स्कूलों में सैकड़ों पद रिक्त पड़े हैं। हैरत की बात यह कि मौलिक शिक्षा विभाग के अधिकारी भी मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं। इस वजह से उक्त विषयों के 261 पद रिक्त हैं। इसका खामियाजा न सिर्फ स्कूली विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है, बल्कि शिक्षा भी प्रभावित हो रही है। यह खुलासा आरटीआइ कार्यकर्ता एवं प्राथमिक शिक्षक संघ के मुख्य सचिव सुनील बास द्वारा सूचना का अधिकार के तहत मांगी जानकारी से हुआ है। सुनील बास ने बताया कि शिक्षकों को उनका अधिकार नहीं मिल रहा है।
आरटीआइ में मिली जानकारी के अनुसार जेबीटी से रिक्त पदों पर पदोन्नति का अधिकार जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी के पास है। हिसार को छोड़कर अन्य जिलों में नये शिक्षा सेवा नियमों अनुसार भर्ती की जा रही है या फिर हो चुकी है। हिसार में इस मामले को जानबूझकर लटकाया जा रहा है।
आदेशों की अनुपालना
करीब पंद्रह साल पहले शिक्षा सेवा नियम के तहत स्कूलों में कुल पदों का 25 प्रतिशत जेबीटी से पदोन्नत करना अनिवार्य था। जब शिक्षा विभाग ने पदोन्नति नहीं कि तो शिक्षक संघ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। 5 नवंबर 1998 को न्यायालय ने शिक्षकों को राहत देते हुए उनके पक्ष में फैसला सुनाया और शिक्षा विभाग को नियमानुसार पदोन्नति करने के आदेश जारी कर दिए। हैरत की बात यह कि शिक्षा विभाग की कवायद जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी करने तक सीमित रही, जो सरासर हाइकोर्ट के आदेशों की अवहेलना करना है।
शिक्षा अधिकारी को पावर थी
शिक्षक नेता सुनील बास ने बताया कि पहले पदोन्नति की पावर जिला शिक्षा अधिकारी के पास थी। लेकिन वर्ष 2012 शिक्षा सेवा नियम में पदोन्नति कोटा 25 से बढ़ाकर 33 प्रतिशत कर दिया और पदोन्नति की पावर जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी को दी। अभी तक अधिकारी की तरफ से पहल नहीं की गई है।
ये होता फायदा
अगर 33 प्रतिशत कोटा के तहत जेबीटी पद से भाषा अध्यापक पद पर पदोन्नति हो जाती तो प्राथमिक शिक्षकों को उनका संवैधानिक हक मिलता। वहीं, प्राथमिक शिक्षकों के पदों में वृद्धि का फायदा दूर-दराज जिलों में कार्यरत जेबीटी शिक्षकों को मिलता और उनकी अंतर जिला सामान्य तबादला नीति में सहायक होता। प्राथमिक शिक्षक अपने हक को पाने के लिए आंदोलन करने के मूड में हैं। dj30.7.14
ये होता फायदा
अगर 33 प्रतिशत कोटा के तहत जेबीटी पद से भाषा अध्यापक पद पर पदोन्नति हो जाती तो प्राथमिक शिक्षकों को उनका संवैधानिक हक मिलता। वहीं, प्राथमिक शिक्षकों के पदों में वृद्धि का फायदा दूर-दराज जिलों में कार्यरत जेबीटी शिक्षकों को मिलता और उनकी अंतर जिला सामान्य तबादला नीति में सहायक होता। प्राथमिक शिक्षक अपने हक को पाने के लिए आंदोलन करने के मूड में हैं। dj30.7.14
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