** छात्र ने आठवीं कक्षा में दाखिला दिए जाने की मांग की
नई दिल्ली : जज अंकल, हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार प्राप्त है। इसके तहत किसी भी बच्चे को आठवीं कक्षा तक फेल नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद मुङो मेरे स्कूल ने सातवीं कक्षा में फेल कर दिया है और मुङो आठवीं कक्षा में भेजने के बजाए सातवीं में ही रखा है। यह न केवल मेरे शिक्षा के अधिकार का हनन है बल्कि कॅरियर से भी खिलवाड़ है। यह मजमून है सातवीं कक्षा में फेल किए गए एक बच्चे द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई विशेष अनुमति याचिका का। इस बच्चे ने खुद को पास घोषित किए जाने और उसे सातवीं से आठवीं कक्षा में प्रोमोट करने की मांग को लेकर यह याचिका दायर की है। साथ ही उसने केंद्र सरकार द्वारा तय उस कानून को भी चुनौती दी है, जिसमें यह कहा गया है कि आठवीं कक्षा तक किसी बच्चे को फेल नहीं किया जाएगा। मगर, उसी कानून ने इस कार्रवाई को लेकर अल्पसंख्यक स्कूलों को इस दायरे से बाहर कर दिया।
मुखर्जी नगर निवासी हिमांशु पांडेय ने अधिवक्ता अशोक अग्रवाल और अनुज अग्रवाल के माध्यम से लाजपत नगर स्थित द फ्रैंक एंथोनी पब्लिक स्कूल, अखिल भारतीय एंग्लो-इंडियन एजुकेशन इंस्टीट्यूट के चेयरमैन, शिक्षा निदेशालय दिल्ली सरकार, उपराज्यपाल और केंद्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता का कहना है कि वह सातवीं कक्षा का छात्र है और उसकी उम्र 13 वर्ष है। उसने वर्ष 2014 में फाइनल परीक्षा दी थी। इस परीक्षा में स्कूल प्रबंधन ने उसे फेल कर दिया। उसे आठवीं कक्षा में भेजे जाने के बजाए सातवीं कक्षा में ही एक साल और पढ़ाने का निर्णय लिया। छात्र ने अपने पिता के माध्यम से स्कूल प्रबंधन से निवेदन भी किया, मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। इस मामले में उपराज्यपाल से भी शिकायत की गई, मगर कार्रवाई नहीं हुई।
याचिकाकर्ता ने कहा है कि शिक्षा का अधिकार 2009 के तहत आठवीं कक्षा तक के किसी भी छात्र को फेल नहीं किया जा सकता। छात्र ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसे हाईकोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस कानून के दायरे में अल्पसंख्यक स्कूल नहीं आते, उन्हें विशेष छूट प्राप्त है। केवल उपराज्यपाल को विशेष अधिकार प्राप्त है कि वह इन स्कूलों को इस कानून का पालन करने के लिए निर्देश जारी कर सकता है। मगर उपराज्यपाल ने ऐसा करने से मना कर दिया।
याचिकाकर्ता ने कहा कि शिक्षा के अधिकार के तहत सभी जगहों पर एक जैसी पॉलिसी होनी चाहिए। सभी बच्चों को शिक्षा के अधिकार का समान रूप से लाभ मिलना चाहिए। लिहाजा, केंद्र सरकार व उपराज्यपाल को निर्देश दिया जाए कि वह उसके स्कूल को निर्देश जारी करें कि उसे पास घोषित कर आठवीं कक्षा में प्रोमोट किया जाए। इसके साथ ही उसके जैसे अन्य मामलों के लिए सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह एक यूनिफार्म पॉलिसी तैयार करे। db
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