कुरुक्षेत्र : प्रदेश में चाहे किसी भी कॉलेज में प्राचार्य हो। उनकी योग्यता, कार्य व अधिकार यहां तक की वेतन ग्रेड भी एक जैसा होता है, लेकिन उच्च शिक्षा विभाग ने सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेजों और विश्वविद्यालय स्थित कॉलेज में प्राचार्य की नियुक्ति के दौरान मूल्यांकन के मापदंड अलग-अलग किए हैं। विश्वविद्यालय स्तर पर साक्षात्कार के अंक 50 दिए गए हैं, जो किसी भी उम्मीदवार की अकादमिक योग्यता पर हर स्तर पर भारी हो सकते हैं, यानि प्रशासन अपनी मनमर्जी से उम्मीदवार का चयन कर सकता है। उच्च शिक्षा विभाग ने ऐसी मूल्यांकन व्यवस्था तैयार की है कि सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेज प्रबंधन अपनी मनमर्जी से न कर सके। इस पर लगाम कसने की कोशिश की गई है।
प्रदेश में उच्च शिक्षा विभाग ने यूजीसी की योग्यता तय करने के बाद प्रदेश में कॉलेज प्राचार्यों की मूल्यांकन प्रक्रिया को निर्धारित किया है, लेकिन इसमें अपनी पूरी मनमानी जरूर बरती है। शिक्षकों का आरोप है कि डीएचई ने मूल्यांकन प्रक्रिया को ऐसा तैयार किया कि वहीं योग्यता और विश्वविद्यालय स्थित कॉलेज में प्रशासन की पूरी मनमानी और सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेजों में भर्ती प्रक्रिया में प्रबंधन असहाय हो जाए। विश्वविद्यालय स्थित कॉलेज में प्राचार्य के मूल्यांकन मापदंडों के अनुसार अकादमिक रिकार्ड के 25 अंक, रिसर्च और पब्लिकेशन के 25 अंक और साक्षात्कार में 50 अंक दिए हैं, जिनमें टीचिंग स्किल के 30 अंक और साक्षात्कार के 20 अंक हैं। यह मापदंड इस तरह है कि अकादमिक रिकार्ड में कितना भी बेहतरीन क्यों न हो साक्षात्कार में सिफारिश के दम ज्यादा अंक देकर उम्मीदवार को लगाया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेजों में दिए नियमों के अनुसार अकादमिक रिकार्ड के 25 अंक दिए गए हैं, जबकि टीचिंग अनुभव और प्रशासनिक स्किल के 30 अंक, शोध कार्य के 25 अंक दिए हैं। इसमें साक्षात्कार के 20 अंक दिए हैं। यह इस तरह से तैयार हैं कि अगर उम्मीदवार योग्यता के आधार पर अकादमिक में अव्वल है तो केवल साक्षात्कार में उसे बाहर नहीं किया जा सकता। वहीं दूसरी और सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेजों में अकादमिक रिकार्ड के 25 अंक हैं। dj
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.