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Sunday, 20 July 2014

एक लाख 10 हजार बच्चों ने छोड़ा स्कूल जाना

** 2008 तक सरकारी स्कूलों में पढ़ते थे 14.55 लाख बच्चे, 2013 में रह गए 13.44 लाख 
** बच्चों को समय पर वर्दी दी जा रही है और ही किताब 
** केंद्र से मिले बजट का इस्तेमाल भी नहीं कर पाई सरकार 
चंडीगढ़ : केंद्र ने सर्वशिक्षा अभियान (एसएसए) के तहत फंड देकर सभी बच्चों को स्कूल लाने का काम प्रदेश सरकार को दिया था लेकिन हुआ इसके उलट। एसएसए के तहत स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ने की बजाय और घट गई। सर्वशिक्षा अभियान का यह सच सामने आया है कैग की रिपोर्ट से। 
इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2008 तक प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 14.55 लाख बच्चे पढ़ते थे। उस समय राज्य में 1.25 लाख बच्चे ऐसे थे जो स्कूल नहीं जाते थे। एसएसए के तहत इन सभी बच्चों को स्कूलों तक लाने का लक्ष्य तय किया गया। इसके लिए केंद्र ने प्रदेश सरकार को 15.12 करोड़ रुपए दिए लेकिन हुआ यह कि जो बच्चे स्कूल जा रहे थे, वह भी पढ़ना छोड़ गए। 
वर्ष 2013 तक आते-आते सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या घटकर 13.44 लाख रह गई। यही नहीं, प्रदेश सरकार केंद्र से मिली पूरी रकम भी खर्च नहीं कर पाई। केंद्र ने जो 15.12 करोड़ रुपए दिए थे, उसमें से 2008 से 2013 तक केवल 1.23 करोड़ रुपए ही खर्च किए गए। कैग ने अपनी रिपोर्ट में प्रदेश की शिक्षा-व्यवस्था पर खासी चिंता जताई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों को स्कूल में रोकने के लिए शिक्षा विभाग की आेर से पुख्ता कदम नहीं उठाए गए। शिक्षकों की कमी भी चिंतनीय विषय है। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में प्राइमरी और हाई स्कूल लेवल तक शिक्षकों के स्वीकृत पद 72446 हैं लेकिन सिर्फ 54063 टीचर काम कर रहे हैं। यानी शिक्षकों के 18383 पद खाली पड़े हैं।
योजना ही सही तरह नहीं बनी 
सर्व शिक्षा अभियान के तहत एक योजना बनाकर उसे लागू किया जाना था ताकि सभी बच्चों को स्कूल तक लाया जा सके। इस योजना को बनाने के लिए कुछ आंकड़ों की जरूरत थी लेकिन ये आंकड़े जुटाने का यह काम ही सही तरह नहीं किया गया। 
किताब बांटने में देरी से पांच करोड़ का नुकसान : 
एसएसएके तहत बच्चों को किताबें और वर्दी दी जानी थी लेकिन किताबों का वितरण समय पर नहीं हो सका। इससे 5.90 करोड़ रुपए का सीधा नुकसान हुआ। अफसरों की लापरवाही का आलम ये रहा कि किताबों के टेंडर जब दिए गए तो करार में यह बात शामिल ही नहीं की गई कि आर्डर में देरी होने पर क्या कदम उठाए जाएंगे।                                                  db

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