कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से संबंद्धता रखने वाले प्रदेशभर के इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ने वाले भावी इंजीनियर अपनी आखिरी दहलीज को पार नहीं कर पाए। बीटेक आठवें सेमेस्टर के घोषित परीक्षा परिणाम में सात हजार से अधिक भावी इंजीनियर रिअपीयर में लटक गए हैं।
यह हालात तो अंतिम सेमेस्टर के परिणाम का है, इससे पहले के सेमेस्टर में भी विद्यार्थियों की पास होने की गाड़ी को रिअपीयर ने ब्रेक लगाए हुए हैं। इसके चलते अब उन्हें भविष्य में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। बीटेक आठवें सेमेस्टर की परीक्षा में कुल 14400 परीक्षार्थी बैठे थे। इसमें से 7293 परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए हैं।
इनकी बढ़ेगी मुसीबत :
बीटेक के अंतिम सेमेस्टर में जिन विद्यार्थियों की रिअपीयर आई है, उनकी प्लेसमेंट पर इसका सीधा असर पड़ेगा। गौरतलब है कि विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेज में कंपनी आठवें सेमेस्टर के विद्यार्थियों की प्लेसमेंट करती हैं। इसमें चयनित हुए विद्यार्थियों को कंपनी की शर्त के मुताबिक बीटेक पास की डिग्री देनी होती है। ऐसे में प्लेसमेंट पाने वाले जिन विद्यार्थियों की रिअपीयर आई है उन्हें इससे धक्का लगेगा।
पहले डिग्री फिर नौकरी :
बीटेक के आठवें सेमेस्टर में पढ़ने वाले विद्यार्थी नीरज, जतिन, अभिषेक, पवन और सतीश ने बताया कि कोई भी कंपनी पहले डिग्री देखती है और उसके बाद ही नौकरी देती है। इसलिए बीटेक में दाखिला लेने से बड़ी चुनौती यह है कि वे अंतिम सेमेस्टर का परिणाम घोषित होने तक अपनी सभी पेपरों की रिअपीयर को पास करें। ताकि उन्हें बेहतर कंपनी में नौकरी मिल सके। बीटेक की पढ़ाई करने के बाद भी बेहतर नौकरी पाने का विद्यार्थियों का सपना रिअपीयर तोड़ देती है।
रिअपीयर की नहीं होती प्लेसमेंट
गीता इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी के शिक्षक अश्वनी गोयल ने बताया कि रिअपीयर आने पर विद्यार्थियों की प्लेसमेंट नहीं हो पाती। उन्होंने कहा कि कॉलेज से विद्यार्थियों की प्लेसमेंट होने के कारण उन्हें बाद में डिग्री करने पर खुद ही नौकरी की तलाश करनी पड़ती है। जिसके कारण उन्हें बेहतर कंपनी में ना तो नौकरी मिल पाती है और ना ही उचित वेतन। गोयल ने कहा कि विद्यार्थियों के सामने आठवें सेमेस्टर तक डिग्री को किसी भी सूरत में कंपलीट करने की चुनौती होती है। अगर वे इस चुनौती को पूरा नहीं कर पाते तो भविष्य में उन्हें परेशानी उठानी पड़ती है। db
रिअपीयर की नहीं होती प्लेसमेंट
गीता इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी के शिक्षक अश्वनी गोयल ने बताया कि रिअपीयर आने पर विद्यार्थियों की प्लेसमेंट नहीं हो पाती। उन्होंने कहा कि कॉलेज से विद्यार्थियों की प्लेसमेंट होने के कारण उन्हें बाद में डिग्री करने पर खुद ही नौकरी की तलाश करनी पड़ती है। जिसके कारण उन्हें बेहतर कंपनी में ना तो नौकरी मिल पाती है और ना ही उचित वेतन। गोयल ने कहा कि विद्यार्थियों के सामने आठवें सेमेस्टर तक डिग्री को किसी भी सूरत में कंपलीट करने की चुनौती होती है। अगर वे इस चुनौती को पूरा नहीं कर पाते तो भविष्य में उन्हें परेशानी उठानी पड़ती है। db
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