हिंदी पर बिंदी लगाने का ही संकट खड़ा हो गया है। मातृभाषा हिंदी के हालात दिन प्रतिदिन बिगड़ते ही जा रहे हैं। हाल यह है कि प्रदेशभर के करीब 2700 मिडिल स्कूलों में हिंदी टीचर के पद ही स्वीकृत नहीं हैं। ऐसे में मातृभाषा का संवर्धन विकास कैसे होगा यह एक बड़ा सवाल है। हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में करनाल में आयोजित राज्यस्तरीय हिंदी दिवस के दौरान ऐसी ही बातों पर मंथन किया गया। सुबह साढ़े 10 बजे से शाम 4 बजे तक चले इस कार्यक्रम में प्रदेशभर से हिंदी अध्यापक संघ के करीब 100 से अधिक टीचर्स ने हिस्सा लेकर मातृभाषा हिंदी के गिरते स्तर को उठाने इसको बचाने के लिए अपने-अपने विचार भी रखे। अम्बाला से तहल सिंह पूर्व जिला कार्यकारिणी वर्तमान राज्य कार्यकारिणी सदस्य ने बताया कि अम्बाला में इस समय करीब 200 मिडिल स्कूल हैं लेकिन इनमें कोई भी हिंदी टीचर नहीं है। हिंदी विषय को संस्कृत के टीचर द्वारा ही पढ़ाकर काम चलाया जा रहा है। ऐसे में हिंदी विषय में मास्टर करने वाले इस विषय को ही अपना भविष्य बनाने वालों की संख्या में लगातार कमी आती जा रही है। पूर्व प्रदेशाध्यक्ष जसबीर सिंह सैनी ने कहा कि यह विडंबना है कि प्रदेश में वर्ष 2007 के बाद से अब तक हिन्दी अध्यापकों की पदोन्नति सूची जारी नहीं हुई। साथ ही अपनी अन्य समस्याओं से भी संघ और अन्य टीचर्स को अवगत कराकर हिंदी के संवर्धन विकास के लिए संघर्ष करने का आह्वान किया। dbambl
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