चंडीगढ़ : राजनीतिक दलों से सांठगांठ की या किसी के प्रलोभन में आए तो चुनाव ड्यूटी पर लगे कर्मचारी या अधिकारी की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट पर दाग लगना तय है। राज्य निर्वाचन विभाग चुनाव डयूटी में लगे हर शख्स की पल-पल की गतिविधि पर नजर रखेगा। प्रशिक्षण से लेकर वोटर स्लिप बांटने और मतदान केंद्र पर पहुंचने तक विभाग के सूक्ष्म पर्यवेक्षक (माइक्रो आब्जर्वर) चुनाव कर्मियों की कार्यप्रणाली को परखेंगे।
ड्यूटी का पाबंद न होना, राजनीतिक लोगों से अधिक मेल-मिलाप व किसी दल विशेष के प्रति अधिक रुचि भी कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ाएगी। सूक्ष्म पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट पर निर्वाचन विभाग संदेहास्पद कार्यप्रणाली वाले अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी निरस्त करने के साथ ही उसकी रिपोर्ट कर्मचारी के विभाग के हेड को भेज देगा। केंद्रीय चुनाव आयोग को भी रिपोर्ट प्रेषित की जाएगी। कर्मचारी चुनाव ड्यूटी के झंझट से तो छूट जाएगा, लेकिन उसकी मुसीबतें तब तक कम नहीं होंगी, जब तक केंद्रीय चुनाव आयोग व राज्य निर्वाचन विभाग की जांच पूरी नहीं हो जाती। जांच में कर्मचारी को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका मिलेगा और उसे आरोपों के विरुद्ध अपनी निष्पक्षता साबित करनी होगी। ऐसा न कर पाने की स्थिति में निर्वाचन विभाग कर्मचारी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की सिफारिश प्रदेश सरकार को करेगा। राज्य निर्वाचन विभाग के अनुसार हर मतदान केंद्र पर सूक्ष्म पर्यवेक्षक तैनात करने की योजना है। पारदर्शी चुनाव के लिए कर्मचारियों की राजनीतिक दलों के साथ किसी तरह की मिलीभगत बर्दाश्त नहीं की जाएगी। चुनाव डयूटी शुरू होने से पहले कर्मचारियों को कार्य संहिता से भी अवगत कराया जाएगा। dj
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