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Saturday, 6 September 2014

पदोन्नति में मुख्याध्यापकों के कोटे बारे नीति स्पष्ट करे विभाग

पदोन्नति में मास्टर वर्ग का कोटा घटा कर शिक्षा विभाग ने किस तार्किकता, प्रासंगिकता का परिचय दिया, यह समझ से बाहर है। कर्मचारियों के हर वर्ग पर तोहफों की बरसात करने वाली सरकार ने आखिर मास्टर वर्ग से नजर क्यों टेढ़ी कर ली, यह स्पष्ट किया जाना चाहिए। तय है कि इस निर्णय से सरकार की परेशानियां बढ़ने जा रही है क्योंकि अपने को आहत, उपेक्षित मान कर मास्टर वर्ग आंदोलन के रूप में पलटवार कर सकता है। प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति का मुख्याध्यापकों का कोटा 33 से घटाकर 20 प्रतिशत किए जाने के विरोध में 1100 शिक्षकों ने आमरण अनशन की धमकी दी है। इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि पदोन्नति का जितना कोटा मास्टर वर्ग का घटाया, उतना ही पीजीटी का बढ़ा दिया गया। परोक्ष रूप से इसे उनके स्वाभिमान व करियर प्रोफाइल के साथ छेड़छाड़ ही माना जाएगा। मुख्यमंत्री ने विभाग के निर्णय पर पुनर्विचार करने का आश्वासन दिया वर्तमान तेवर देख कर मास्टर वर्ग एसोसिएशन को आशंका है कि उसके मांगपत्र पर पर्याप्त गंभीरता नहीं दिखाई जाएगी। इसी कारण वे राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ने की मुद्रा में आ गए हैं। उनकी अन्य मांगें भी वर्षो से लंबित हैं। आरोप है कि सात साल से टीजीटी की पीजीटी कैडर में पदोन्नति नहीं की जा रही, इसके अलावा प्रमोशन में अध्यापक विषय की शर्त जोड़ दी गई। शिक्षा क्षेत्र में असंतोष नया नहीं। न विभाग समान नीति बनाने पर गंभीर है न अतार्किक प्रयोगवाद रोकने पर। इसी प्रयोगवाद के साइड इफेक्ट्स गेस्ट टीचरों पर साफ दिखाई दे रहे हैं। 15 हजार से अधिक अध्यापकों के भविष्य पर तलवार लटक रही है और सरकार को समाधान सूझ नहीं रहा। वर्षो तक उन्हें भरोसा दिलाया जाता रहा कि समायोजन कर दिया जाएगा पर अब सरकार ने हाथ खींच लिए। अन्य अध्यापक वर्गो , पाठ्य सामग्री ,वैज्ञानिक व तकनीकी उपकरणों की खरीद आदि में भी प्रयोगवाद ने रास्ते में अनेक अवरोध पैदा कर दिए। अब पदोन्नति के मामले में टीजीटी और पीजीटी के बीच मोर्चा खुलने से शिक्षा विभाग की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा हो गया है। इस मसले के समाधान में सरकार को दखल देने में अधिक विलंब नहीं करना चाहिए। कर्मचारी के मन में यह भावना आ जाए कि उसके साथ भेदभाव किया जा रहा है तो उसकी कार्यक्षमता में निश्चित रूप से गिरावट आ जाती है जिसका प्रतिकूल प्रभाव समूचे तंत्र पर पड़ता है। सबके लिए दरियादिली दिखाने वाली सरकार मास्टर वर्ग की पीड़ा भी संजीदगी से महसूस करे।                                                                        djedtrl   

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