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Friday, 12 September 2014

शिक्षा विभाग : नियमों से खिलवाड़

प्रदेश में शिक्षा क्षेत्र की स्थिति अजीबो गरीब है। चाहे वह सरकारी क्षेत्र हो या निजी, ऐसे मामले प्रकाश में आते रहे जो सोचने को मजबूर करते हैं कि निरंकुश आचरण की छूट कैसे मिल रही है। ताजा प्रकरण में ऐसे स्कूल सामने आए हैं जो हरियाणा शिक्षा बोर्ड व सीबीएसई, दोनों से संबद्धता रखकर विद्यार्थियों से आवेदन मांग रहे हैं। 55 निजी स्कूल संचालकों ने शिक्षा बोर्ड से यह कह कर अनापत्ति प्रमाणपत्र मांगे कि वे सीबीएसई से संबद्धता लेना चाहते हैं। इन्हीं स्कूलों में बच्चों से हरियाणा शिक्षा बोर्ड की परीक्षा के लिए भी आवेदन करवा दिया। हालांकि मामला संज्ञान में आने के बाद शिक्षा विभाग ने जांच के आदेश दे दिए हैं पर गंभीर बात यह है कि निजी स्कूलों की मंशा भांपने और अंकुश लगाने के लिए सशक्त निगरानी तंत्र का विकास क्यों नहीं किया गया? शिक्षा बोर्ड हर वर्ष शिक्षा सत्र के आरंभ में सैकड़ों निजी स्कूलों पर मान्यता की तलवार लटकाता है, दिन बीतने के साथ उसके तेवर नरम पड़ते जाते हैं और मान्यता के लिए सहज रूप से एक साल की और मोहलत मिल जाती है। स्वयं शिक्षा बोर्ड में हजारों त्रुटिपूर्ण सर्टिफिकेट छप गए। गली मुहल्ले में स्कूल खुलने का सिलसिला जारी है, उनके भवन, शैक्षणिक माहौल, खेल सुविधाओं, छोटे-छोटे कमरों और नाममात्र की पगार लेकर बच्चों को पढ़ाने वाले अध्यापकों के बारे में न तो जिला शिक्षा अधिकारी कुछ जानने की कोशिश करते हैं, न शिक्षा बोर्ड। कुछ अर्सा पूर्व बात उठी थी कि अतार्किक प्रयोगों के चलते शिक्षा विभाग में कुछ असहजता की स्थिति आ चुकी है। 
खासतौर पर निजी स्कूलों को मान्यता और संबद्धता के अपेक्षित मानकों पर स्थिर व समान नीति बनाए जाने की आवश्यकता है। बोर्ड अधिकारियों के संज्ञान में आए ताजा मामले को निजी स्कूल संचालकों की शिक्षा ढांचे से खिलवाड़ की साजिश के तौर पर देखा जाना चाहिए। इसके लिए दोषियों की सख्ती से घेराबंदी की जाए ताकि इस तरह की प्रवृत्ति परंपरा का रूप न ले सके। शिक्षा क्षेत्र में कई सुधारों की जरूरत है और इसके लिए व्यावहारिक स्तर पर मंथन किया जाए। शिक्षा विभाग और बोर्ड के संयुक्त प्रयासों से ही निजी स्कूलों में नीतियों के मनमाफिक उपयोग पर अंकुश लगाना संभव होगा। गरीब बच्चों को निश्शुल्क दाखिला देने में निजी स्कूलों ने जरा भी तत्परता नहीं दिखाई पर दोहरे लाभ के लिए नियमों में छेद करने में तनिक भी हिचक नहीं दिखी। शिक्षा बोर्ड व विभाग को रवैया कड़ा करना ही होगा।                                                             djedtrl

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