** जांच में शामिल न होने वाले शिक्षकों की सेवा खत्म करने पर विचार
चंडीगढ़ : प्रदेश सरकार अध्यापक पात्रता परीक्षा में धांधली करने वाले जेबीटी शिक्षकों के हस्ताक्षर की सीएफएसएल जांच कराएगी, जिसके लिए वह हाईकोर्ट से कम से कम तीन महीने का और समय मांग रही है।
इस मामले में सोमवार को होने वाली सुनवाई से पूर्व सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा पेशकर विस्तार से जानकारी दी है। सरकार ने कहा है कि आवेदन फार्म व उत्तर पुस्तिका की ओएमआर सीट पर अंगूठे के निशान की सीएसएफएल जांच में 6049 जेबीटी शिक्षक संदिग्ध पाए गए हैं। सरकार ने बताया है कि वर्ष 2011 में नियुक्ति 8285 जेबीटी टीचरों के आवेदन फार्म व उत्तर पुस्तिका की ओएमआर सीट पर अंगूठे के निशान की सीएसएफएल जांच में हैरतअंगेज की जानकारी मिली। केवल 1101 टीचरों के आवेदन फार्म व उत्तर पुस्तिका पर अंगूठे के निशान एक मिले। शेष 7150 टीचर ऐसे हैं जिनके अंगूठे के निशान नहीं मिल रहे। इससे साबित होता है कि इनका अध्यापक पात्रता परीक्षा पास करना संदेह के दायरे में है। 798 टीचर ने साफ तौर पर फर्जी तरीके से परीक्षा पास की। रिपोर्ट के अनुसार 6049 टीचर परीक्षा पास करने में संदिग्ध पाए गए हैं, जिनके हस्ताक्षर सीएसएफएल जांच को भेजे जा रहे हैं। इसके लिए कम से कम तीन महीने का और समय की जरूरत है। सरकार ने उन टीचर को दोबारा बुलाया है जो जांच में शामिल नहीं हो पाए थे। तीन सौ से ज्यादा टीचर बार-बार बुलाने के बाद भी जांच में शामिल नहीं हो रहे, जिस कारण सरकार इनकी सेवा समाप्त करने पर विचार कर रही है। सरकार ने शुरू में कहा था कि दोषी टीचरों के प्रमाण पत्र रद कर उनके खिलाफ पुलिस जांच करवाई जाएगी।
मामला क्या था
प्रवीण कुमारी व अन्य ने याचिका दायर कर 2011 में चयनित 8285 जेबीटी अध्यापकों की नियुक्ति को रद करने की मांग की है। शिक्षा बोर्ड ने राज्यस्तरीय अध्यापक पात्रता परीक्षा (स्टेट) का आयोजन किया था। इसके विवरणिका (प्रोस्पेक्टस) में साफ लिखा था कि परीक्षा की उत्तरपुस्तिका पर अंगूठे के निशान व फार्म पर किए अंगूठे के निशान का मिलान कर ही प्रमाणपत्र जारी किए जाएंगे। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि बोर्ड ने अंगूठे के निशान मिलाए बगैर ही पात्रता परीक्षा के प्रमाणपत्र वितरित कर दिए।
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