** गरीबी की मार : घर छोड़कर भागे आठवीं के छात्र का दर्द आया जुबां पर, 7वीं में आया था फर्स्ट
सिरसा : मां! मुझे बड़ा होकर अफसर बनना है। सरकारी स्कूल में पढ़ाई अच्छी नहीं होती। इसलिए प्राइवेट स्कूल में पढ़ाओ। वरना पढ़ाई छोड़ दूंगा। यह कहना है मेवात में गांव फिरोजपुर झीरका के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले 15 वर्षीय साजिद का।
आठवीं का छात्र साजिद सोमवार को घर छोड़कर सिरसा भाग आया था। वह कालांवाली की मार्केट में लावारिश हालत में घूमता मिला। किसी ने उससे परिवार के बारे में पूछ लिया। उसने बताया कि उसके मां-बाप नहीं है। एक दुकानदार ने बाल संरक्षण विभाग को इसकी सूचना दी। बच्चे को चाइल्ड प्रोटेक्शन हाउस में भिजवाया गया। वहां उससे प्यार से परिवार के बारे में पूछा गया तो पूरा सच सामने आया। उसने कहा कि वह घर में अपनी मां भाई से झगड़ा करके भागा है। अब वापस नहीं जाना चाहता, क्योंकि उसकी मां उसे प्राइवेट स्कूल में नहीं पढ़ाना चाहती। जबकि उसे प्राइवेट स्कूल में पढ़कर अफसर बनना है। उसके बाद विभाग ने इसकी सूचना उसके परिजनों को दी बुधवार को उसे परिजनों को साैंपा।
~2000 प्रतिमाह देने की सिफारिश
जिलाबाल संरक्षण इंचार्ज अंजना डूडी ने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग ने अपनी स्पॉन्सरशिप स्कीम के तहत साजिद के परिवार को 2000 रु. प्रतिमाह देने की राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग से सिफारिश की है। अगर उसका परिवार स्कीम के नियमों को पूरा करता है तो साजिद और उसके एक और भाई-बहन को 2000-2000 हजार रुपए प्रतिमाह स्पॉन्सरशिप के रूप में दिए जाएंगे।
स्पॉन्सरशिप स्कीम में ये लाभ
स्पॉन्सरशिपस्कीम के तहत विभाग तीन साल तक 2000 रुपए प्रतिमाह परिवार को बच्चे की परवरिश शिक्षा के लिए देता है। इस स्कीम का लाभ उसी परिवार को मिलता है, जिसकी वार्षिक आय 24000 रुपए से कम हो। इसके अलावा विभाग उस परिवार की आमदनी बढ़ाने की कोशिश करता है।
पांच भाई-बहन, पिता लगाता है सब्जी की रेहड़ी
साजिद को लेने आए उसके फूफा खुर्शीद अहमद ने बताया कि साजिद का पिता सब्जी की रेहड़ी लगाता है। वे पांच भाई-बहन हैं। साजिद सातवीं कक्षा में स्कूल में टॉप रहा था। परिवार की इतनी आय नहीं है कि साजिद को प्राइवेट स्कूल में पढ़ा सके। परिवार की गरीबी उसके सपनों के आड़े रही है। db
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