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Sunday, 11 January 2015

कंप्यूटर शिक्षा : निजी कंपनियों पर कार्रवाई को लेकर असमंजस

** शिक्षा विभाग के वित्तायुक्त की अध्यक्षता में 16 या 17 को होगी बैठक
** ब्लैक लिस्ट करने व मार्च तक सेवाएं जारी रखने के विकल्पों पर विचार
चंडीगढ़ : प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा के नाम पर भारी अनियमितताएं बरतने वाली तीन निजी कंपनियों पर कार्रवाई को लेकर ऊहापोह की स्थिति है। स्कूल शिक्षा विभाग के वित्तायुक्त अभी तक अंतिम निर्णय नहीं ले पाए हैं। कंपनियों को ब्लैक लिस्ट करने के साथ ही मार्च तक सेवाएं जारी रखने के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है। कंपनियों और कंप्यूटर शिक्षकों के बीच चला आ रहा विवाद हल करने के लिए वित्तायुक्त की अध्यक्षता में अगली बैठक 16 या 17 जनवरी को होगी। 
वित्तायुक्त टीसी गुप्ता पर ये निर्भर करेगा कि कंपनियों की ओर से सौंपे जाने वाले जवाब से वह कितना संतुष्ट होते हैं। चूंकि 6 जनवरी को हुई बैठक में कंपनियों कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई थीं। इसलिए दस दिन का मौका जवाब दाखिल करने के लिए दिया गया है। वर्तमान शैक्षणिक सत्र मार्च महीने में खत्म हो रहा है, इसलिए विभाग निजी कंपनियों को बीच सत्र में ब्लैक लिस्ट नहीं करना चाहता। माना जा रहा है कि कंपनियों को अपनी सेवाएं सुधारने का एक और मौका भी दिया जा सकता है। वित्तायुक्त निजी कंपनियों की परफार्मेस से हालांकि खुश नहीं हैं। 
उन्होंने कंपनियों को पिछली बैठक में स्तरहीन सेवाओं के लिए काफी फटकार भी लगाई थी। अब शिक्षकों की निगाहें वित्तायुक्त कार्यालय पर टिकी हुई हैं कि वह अगली बैठक में किसके हित में निर्णय सुनाते हैं। क्योंकि शिक्षक किसी सूरत में कंपनियों के अधीन काम करने को तैयार नहीं हैं। कंपनियों ने विभाग से मोहलत लेकर हर बार शिक्षकों के साथ धोखा ही किया है। साढ़े तेरह सौ शिक्षक बीते एक साल से वेतन के लिए दर-दर ठोकरें खा रहे हैं। 
निजी कंपनियों पर आरोप 

  • 2013-2014 में भर्ती 2722 शिक्षकों से अवैध तौर पर 24 हजार रुपये सिक्योरिटी राशि वसूली। 
  • ट्रेनिंग के नाम पर 1200 शिक्षकों से 27 लाख रुपये नियमों के विरुद्ध लिए।
  • अगस्त 2013-2014 में कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती के लिए 25 हजार आवेदकों से 250 रुपये की जगह 750 रुपये आवेदन फीस वसूली।
  • गरीब बच्चों को दो सत्र में एक भी मुफ्त किताब नहीं दी। 13 करोड़ रुपये का घालमेल। 
  • शिक्षकों के वेतन से 2013 में 6.75 प्रतिशत कटौती ईएसआइ के नाम पर की। 2.45 करोड़ रुपये का अता-पता नहीं।                                     dj

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