चंडीगढ़ : हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों व कालेजों में 2005 में स्थापित एजुसेट के पूरी तरह बंद हो जाने संबंधी खबरों पर संज्ञान लेते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है। आयोग के अध्यक्ष जस्टिस विजेंद्र जैन, जस्टिस एचएस भल्ला और जेएस अहलावत ने मुख्य सचिव से 21 सितंबर तक जवाब तलब किया है।हरियाणा के शिक्षा विभाग ने वर्ष 2005 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय और इसरो के सहयोग से प्रदेश में सैटेलाइट के जरिए शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए स्कूलों में एजुसेट प्रोजेक्ट शुरू किया था। इस प्रोजेक्ट के लिए, सरकार ने सरकारी प्राइमरी, सेकेंडरी स्कूलों और कालेजों में उपकरण लगाए थे। इसके अलावा उत्कर्ष सोसाइटी के माध्यम से प्रतिदिन ब्राडकास्ट, कंटेंट डेवलपमेंट, एजुसेट उपकरणों की मरम्मत व रखरखाव के लिए 35,28,99,831 रुपये खर्च किए थे। एजुसेट के क्रियान्वयन के लिए विभाग ने जूनियर इंजीनियरों के 22 पद (हर जिले में एक पद) भी कांट्रैक्ट आधार पर सृजित किए थे।
बीते सप्ताह समाचार पत्रों में एजुसेट के पूरी ठप होने की खबरें छपने के बाद मानवाधिकार आयोग ने करोड़ों के इस प्रोजेक्ट में धन राशि की बर्बादी को गंभीरता से लिया है।
बुधवार को आयोग ने अपने निर्देश में कहा कि इस प्रोजेक्ट में 131 करोड़ रुपये से ज्यादा धन का निवेश किया गया था, क्या करदाताओं के इस पैसे से हरियाणा के विद्यार्थियों को लाभ नहीं मिलना चाहिए था? आयोग ने प्रदेश में इस साल 10वीं और 12वीं के खराब रिजल्ट का जिक्र करते हुए शिक्षा की हालत पर भी उंगली उठाई है। au
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