चंडीगढ़ : हरियाणा में सरकारी कर्मचारियों के वेतन में विसंगति संबंधी शिकायतों को दूर करने के लिए गठित वेतन विसंगति आयोग को बुधवार को प्रदेश सरकार ने तीन माह की एक्सटेंशन दे दी है। इसी तीन माह की अवधि में आयोग अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगा। रिपोर्ट देखने के बाद ही सरकार किसी निर्णय पर पहुंचेगी।
लंबे समय से कर्मचारियों की पंजाब के समान वेतनमान की मांग है। पुलिस कर्मचारियों सहित अन्य विभाग के कर्मचारी यह मांग करते आ रहे हैं। चुनावी वादों में नेताओं ने मंच से यह वादे भी किए थे। पूर्व की हुड्डा सरकार के कार्यकाल में इस आयोग का गठन किया गया था। सेवानिवृत्त अधिकारी जी माधवन की अध्यक्षता में गठित इस आयोग को सातवें वेतन आयोग से पहले छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को हरियाणा में लागू करने के निर्देश दिए गए थे। इसी बीच हरियाणा में सत्ता परिवर्तन हो गया और कर्मचारियों की मांगें बीच में ही लटक गईं।
सत्ता परिवर्तन के बाद नई सरकार ने माधवन आयोग की सेवाएं नियमित रखते हुए कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां दूर करने के लिए अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था। आयोग अब तक अलग-अलग कर्मचारी संगठनों के साथ कई बैठकें कर चुका है। अभी तक रिपोर्ट नहीं सौंपी जा सकी है। अगले तीन माह में आयोग अपनी रिपोर्ट सौंपने की तैयारी में है। लिहाजा, हरियाणा सरकार ने आयोग के कार्यकाल में तीन माह का विस्तार कर दिया है। हरियाणा में दो लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं, जिन्हें सातवें वेतन आयोग का लाभ मिलना प्रस्तावित है। au
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