** पूर्व सीएम ने कपिल सिब्बल को लिखा था पत्र, केंद्र सरकार से एनसीटीई में नियमित पदों को भरने पर मांगा जवाब
चंडीगढ़ : पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने तत्कालीन मानव संसाधन
एवं विकास मंत्रलय को पत्र लिखकर राज्य में और बीएड कॉलेज न खोलने की मांग
की थी। इसके बावजूद उनके कार्यकाल में एनसीटीई ने 200 से अधिक नए बीएड
कॉलेज खुलने की अनुमति दे दी। यह जानकारी अतिरिक्त मुख्य सचिव उच्च शिक्षा
विजय वर्धन ने हाईकोर्ट में दी।
मामले की सुनवाई के दौरान वर्धन के अलावा
आदेशों के अनुरूप एनसीटीई के रिजनल डायरेक्टर भी कोर्ट में हाजिर हुए।
हाईकोर्ट ने एनसीटीई से पूछा कि वे किन मानकों के अनुरूप नए कॉलेज खुलने की
अनुमति देते हैं। इसपर एनसीटीई ने कहा कि इसके लिए मान्यता देने वाली
यूनिवर्सिटी की एनओसी तथा राज्य सरकार की सिफारिशों पर गौर किया जाता है।
ये सरकार की जिम्मेदारी :
हाईकोर्ट ने इस पर पूछा कि क्या नए कॉलेजों को
मंजूरी देने से पहले वे यह नहीं देखते कि उस स्थान पर उनकी आवश्यकता है भी
या नहीं। एनसीटीई ने पल्ला झाड़ते हुए इसे राज्य सरकार की जिम्मेदारी करार
दिया। अतिरिक्त मुख्य सचिव विजय वर्धन ने कहा कि राज्य सरकार ने एनसीटीई को
राज्य में नए बीएड कॉलेज न खोलने देने की अनुमति के लिए मानव संसाधन एवं
विकास मंत्रलय को लिखा था। इस बारे में कदम न उठाए जाने पर खुद तत्कालीन
मुख्यमंत्री ने मानव संसाधन एवं विकास मंत्री कपिल सिब्बल को चिट्ठी लिखी
थी। फिर भी राज्य में तब से लेकर अब तक 200 नए कॉलेजों को खुलने दिया गया
है। इस पर हाईकोर्ट ने एनसीटीई से पूछा कि यदि राज्य सरकार कॉलेज न खोलने
की राय देती है तो एनसीटीई क्या करती है। डायरेक्टर ने बताया कि इस स्थिति
में एनसीटीई कॉलेज के निरीक्षण के लिए कमेटी गठित करती है जो वीडियोग्राफी
भी करती है। यदि कॉलेज मानकों को पूरा करता है तो उसे मंजूरी दे दी जाती
है। हाईकोर्ट ने इस पर केंद्र सरकार को निर्देश दिए कि वे इन पदों को
नियमित तौर पर भरने पर अगली सुनवाई में हलफनामा दाखिल कर जानकारी दें।
नियमों के तहत क्यों नहीं दी जाती मान्यता
सुनवाई के दौरान एनसीटीई ने
कहा कि जब उनके पास कॉलेज खोलने की अनुमति के लिए आवेदन आते हैं तो
बिल्ंिडग से लेकर जमीन पर करोड़ों रुपए खर्च कर दिए जाते हैं। ऐसे में
अनुमति देना जरूरी हो जाता है। कोर्ट ने कहा कि यदि किसी का करोड़ों रुपया
लगा है तो इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें बीएड की दुकान खोलने की अनुमति
दे दी जाए। कोर्ट ने कहा कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के प्रावधानों के
अनुसार पहले मंजूरी ली जाती है बाद में कॉलेज का निर्माण किया जाता है। ऐसे
ही प्रावधान बीएड कॉलेजों के लिए क्यों नहीं किए जाते।
मंजूरी देने के
लिए अपनाई जाए ठोस व्यवस्था :
हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देश जारी
करते हुए कहा कि वे नए कॉलेज खोलने के लिए अनुमति देने से पूर्व निरीक्षण
के लिए अच्छी प्रक्रिया अपनाएं। हाईकोर्ट ने सुझाव दिया कि या तो इसके लिए
उच्च शिक्षा विभाग, मान्यता देने वाली यूनिवर्सिटी और एनसीटीई की संयुक्त
टीम का गठन किया जाए या फिर किसी अन्य सरकारी एजेंसी की मदद ली जाए।
एनओसी
के लिए निर्धारित हों मानक :
कोर्ट ने कहा कि यूनिवर्सिटी एनओसी देने से
पहले देखे कि उस क्षेत्र में पहले से कितने कॉलेज हैं। इसके अलावा कितनी
सीटें मौजूद हैं और कितनी खाली रह जाती हैं। 1आधी सीटें खाली, क्यों दी जा
रही अनुमति : हाईकोर्ट ने एनसीटीई से पूछा कि प्रदेश में 491 बीएड कॉलेजों
में 60762 सीटें मंजूर हैं। पिछले साल हुई काउंसिलिंग में केवल 32811
सीटें भरी गई और 27951 खाली रह गई। हर वर्ष लगभग यही हो रहा है। एनसीटीई के
पास इसकी जानकारी है फिर भी क्यों वे नए कॉलेज खोलने की अनुमति देने से
पहले इन तथ्यों पर गौर नहीं करते। db
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