कुवि में जहां कर्मचारियों की कमी है वहीं ऐसे अधिकारियों की भी कमी है
जो कर्मचारियों को ईमानदारी से कार्य करने के प्रति तैयार कर सकें। न तो
कर्मचारियों को किसी प्रकार का भय है और न ही कोई कार्रवाई की आशंका। वे
सरेआम गलत कार्य करते हैं और पैसे लेकर कई बार रोल नंबर जारी होते हैं तो
पैसे लेकर परिणाम दिखाए जाते हैं। इससे भी बढ़कर कर्मचारी फेल को पास और
पास को फेल कर देते हैं। पहले भी ऐसे आरोप लगते रहे हैं और कुवि प्रशासन
कर्मचारियों की जांच के नाम पर कमेटी बनाकर कार्य की इतिश्री करता रहा है।
ऐसे में कर्मचारियों की हिम्मत इतनी बढ़ गई है कि वे पैसे लेकर बिना किसी
पेपर की जांच किए ही कंप्यूटर में अंकों को बढ़ा देते हैं। इस बार भी ऐसा
ही हुआ और कुवि की कंप्यूटर लैब में एक कर्मचारी ने कंप्यूटर में एक कानून
के विद्यार्थी को फेल से पास कर दिया। इसमें इस कक्षा से संबंधित सीट का
कर्मचारी भी मिला हुआ था। इसी कक्षा के छात्र ने मामले का खुलासा कर दिया।
हुआ ये कि विद्यार्थी अपना परीक्षा परिणाम लिया था। वहीं उसने अपने साथ
अपने दूसरे साथी का भी परीक्षा परिणाम देख लिया। उस समय वह रिजल्ट सीट में
फेल था, लेकिन उसे किसी कारण से दोबारा आना पड़ा था तो उसने फिर से परीक्षा
परिणाम देखा, लेकिन उस समय वही लड़का सीट में पास हो गया। उसने इसकी
शिकायत आलाधिकारियों को कर दी। आनन-फानन में कर्मचारियों को पता चला तो
उन्होंने उसे दोबारा फेल कर दिया। कंप्यूटर में तो वह फेल हो गया, लेकिन
सीट के मामले में कर्मचारी धरे गए। कुवि कुलसचिव डॉ. प्रवीण सैनी ने बताया
कि कर्मचारियों के बारे में परीक्षा नियंत्रक की रिपोर्ट के आधार पर बनाई
गई फाइल कुवि कुलपति के पास भेजी गई है।
जिनकी रिपोर्ट पर कार्रवाई, उन पर भी ऐसे ही आरोप
इस मामले में एक ओर
हास्यस्पद बात ये है कि प्रशासन जिन अधिकारी की जांच रिपोर्ट के आधार पर
कार्रवाई करने के लिए तैयार है। उन के दामन पर भी ऐसे ही दाग हैं तो अभी तक
धुल नहीं पाए हैं। कर्मचारियों के बारे में कुवि के परीक्षा नियंत्रक पंकज
गुप्ता ने कर्मचारियों के बारे में रिपोर्ट तैयार की है। जबकि स्वयं उन पर
भी अपने अंकों को बढ़ाने का आरोप है। जब वे पुनमरूल्यांकन शाखा के डीआर थे
और उनके पीजीडीसीए के अंक ज्यादा बढ़े थे। उनके मामले में भी कुवि प्रशासन
की ओर से जांच चल रही है। dj
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