गोहाना : स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में मोटापे की समस्या बढ़ती जा रही है। शिक्षा विभाग इसका कारण स्कूलों के आसपास खुली जंक फूड की दुकानों एवं स्टालों को मान रहे हैं। मौलिक शिक्षा विभाग ने ब्लॉक स्तर पर स्कूलों के पास से जंक फूड की दुकानें और स्टाल हटवाने के लिए पत्र जारी किया है।
शहरी क्षेत्रों में निजी और सरकारी स्कूलों के आसपास जंक फूड की दुकानों अथवा स्टालों की भरमार रहती है। स्कूल की छुट्टी होते ही इन दुकानों के बाहर बच्चों की भीड़ एकत्रित हो जाती है। विभाग के तर्क के अनुसार इससे बच्चों में मोटापा और वजन अधिक बढ़ने की समस्या पैदा हो गई है।
जंक फूड का अधिक सेवन करने से बच्चों को भूख नहीं लगती, जिसके चलते वे घर में पोस्टिक आहार से वंचित रह जाते हैं। इसका सीधा असर उनके शारीरिक एवं मानसिक विकास पर पड़ता है। बीईओ सुभाष चंद्र भारद्वाज ने बताया कि आहार बच्चों के बौद्धिक एवं मानिसक स्तर को प्रभावित करता है। पोस्टिक आहार खाने से बच्चों के शारीरिक विकास के साथ-साथ बौद्धिक विकास भी होता है। इससे बच्चे शिक्षा के साथ-साथ खेलों के क्षेत्र में भी बेहतर प्रदर्शन करता है। वहीं जंक फूड खाने से जहां स्वास्थ्य पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ता है, वहीं बच्चा शिक्षा के क्षेत्र में भी पिछड़ने लगता है। अभिभावकों को बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए जंक फुड के स्थान पर पोष्टिक आहार खाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। ताकि जंक फूड खाने से बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े।
"मौलिक शिक्षा विभाग ने बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए स्कूलों के बाहर जंक फूड की दुकानें हटवाने के लिए पत्र जारी किया है। पत्र को सभी निजी और सरकारी स्कूलों में भेज दिया गया है। टीचरों को भी निर्देश दिए हैं कि वे बच्चों को जंक फूड के स्थान पर पोष्टिक आहार का सेवन करने के लिए प्रेरित करें।''-- सुभाषचंद्र भारद्वाज, बीईओ, गोहाना। db
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