चंडीगढ़ : गेस्ट टीचरों ने हुड्डा सरकार द्वारा उन्हें नियमित करने के लिए
बनाई गई नीति को चुनौती देने वाली एक याचिका में प्रतिवादी बनाने को लेकर
अर्जी दायर की हैं। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस दीपक सिब्बल पर
आधारित खंडपीठ ने इस मामले में प्रदेश सरकार समेत सभी पक्षों को नोटिस जारी
कर 10 मार्च तक जवाब मांगा है। 1मंगलवार को सुनवाई के दौरान गेस्ट टीचरों
के वकील ने हाईकोर्ट को बताया कि दस साल की सेवा के बाद गेस्ट टीचरों को
नियमित करने की जो नीति हुड्डा सरकार ने बनाई थी, उसको चुनौती देना उचित
नहीं है। उन्होंने बताया कि वर्तमान सरकार ने हुड्डा सरकार द्वारा मई 2014
के बाद बनाई गई सभी नीतियों को रद करने या उन पर पुन: विचार करने का निर्णय
लिया था। लेकिन अभी तक यह नहीं पता कि यह नीति लागू की गई है या इसे खत्म
कर दिया गया है। इस पर बेंच ने सरकारी वकील को निर्देश दिया कि वो मामले की
अगली सुनवाई पर कोर्ट को यह जानकारी दे कि इस नीति का क्या स्टेटस है।
ज्ञात रहे कि हुडा सरकार ने चुनाव से कुछ माह पूर्व 15 हजार से ज्यादा
अतिथि अध्यापकों को नियमित करने के लिए 10 साल की पॉलिसी लागू की थी। इस
नीति के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में इस नीति को
कानूनन गलत बताते हुए रद करने की मांग की गई। याचिका के अनुसार प्रदेश
सरकार ने 7 जुलाई 2014 को इन कर्मचारियों को नियमित करने के लिए दस साल की
नीति का जो आदेश जारी किया है। वह पूरी तरह से गैरकानूनी और सुप्रीम कोर्ट
द्वारा वर्ष 2006 में उमा देवी के केस में पांच जजों की खंडपीठ द्वारा दिए
गए फैसले के खिलाफ है। dj
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