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Thursday, 25 February 2016

मार्किंग, चुनाव अब आरक्षण की आग झुलसा दे बच्चों का भविष्य


** आठ मार्च से शुरू होगी 10वीं और 12वीं की परीक्षा, परिणाम पिछले बार की मुकाबले सकता है और भी कम 
भिवानी : प्रदेश में आरक्षण की आग ने जो जख्म दिए हैं उससे भाईचारे और व्यापार को जितना नुकसान हुआ है उसे भरने में साल लग सकते हैं, लेकिन इस आरक्षण की आग में स्कूली विद्यार्थियों का भविष्य भी झुलस सकता है। 
उपद्रव के दौरान जहां कई शहरों में स्कूलों में आग लगा दी गई, वहीं माहौल को देखते हुए शिक्षण संस्थानों में 25 फरवरी तक छ़ुट्टी की घोषणा की गई है। इससे पहले मार्किंग, पंचायत चुनाव और शीतकालीन की दो बार की छुटिट्यों ने पाठ्यक्रम को पूरा नहीं होने दिया गया तो वहीं अब अभिभावकों में डर इस कदर समाया हुआ है कि वे कई दिनों तक अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बारे में सोचते हुए भी डर रहे हैं। जिन शहरों में स्कूल जलाए गए हैं, वहां कक्षाएं कैसे लग पाएंगी यह भी सोच से परे है। 
 उल्लेखनीय है कि प्रदेश के स्कूलों में एक अक्टूबर से दूसरे सेमेस्टर की शुरूआत हुई थी। सेमेस्टर की शुरुआत होते ही सितंबर-अक्टूबर में बोर्ड की परीक्षाएं गईं और स्कूलों के आधे से ज्यादा अध्यापकों की ड्यूटी परीक्षाओं में लगा दी गई। इसके बाद मार्किंग का काम शुरू हो गया और अध्यापक 20 दिनों तक मार्किंग में जुटे रहे। इसमें स्कूलों में अक्टूबर सितंबर का महीना निकल गया। दिसंबर में 24 दिसंबर तक पढ़ाई हुई और उसके बाद सरकार ने 10 जनवरी तक शीतकालीन अवकाश घोषित कर दिए। 10 जनवरी को स्कूल खुले और पढ़ाई शुरू हुई, लेकिन इसी बीच पंचायत चुनाव की घोषणा हो गई और स्कूलों में पढ़ाने वाले अध्यापकों को पंचायती चुनाव में लगा दिया गया। दो-तीन बार रिहर्सल, तीन चरणों का चुनाव और उसके बाद पोलिंग को लेकर अध्यापकों का अाना-जाना लगा रहा। इसके बाद 27 जनवरी से 31 जनवरी तक फिर से शीतकालीन अवकाश हो गए और जनवरी का महीना भी बीत गया। 
फरवरी में पढ़ाई का माहौल थोड़ा बहुत बना ही था कि जाट आरक्षण की आग ने शिक्षण संस्थानों पर फिर से ताले लगवा दिए। 20 फरवरी से स्कूल बंद हैं। स्कूल कल से खुलने के उम्मीद है और कल से लेकर 7 मार्च तक अध्यापक पाठ्यक्रम किस प्रकार पूरा करवाते हैं, यह देखने वाली बात होगी। इन छुट्टियों के अलावा रविवार और 13 छुट्टियां तो वे हैं, जो सरकारी तौर पर होती हैं। दूसरे सेमेस्टर में 120 दिन स्कूल लगने जरूरी थे, लेकिन इन सबके बीच स्कूल 90 दिन भी नहीं लग पाए हैं। इन सबसे अलग विद्यार्थियों का बीमार होना और आवश्यक काम के चलते पांच माह में एक सप्ताह छुट्टी और अध्यापकों की भी चार छुट्टी जोड़ ली जाएं तो यह आंकड़ा 80 तक पहुंच जाएगा। 
सिलेबस कितना हुआ- बच्चे जानें या शिक्षक 
प्रदेश में 8 मार्च से बोर्ड की परीक्षाएं शुरू होने जा रही है। पांच माह के दौरान कितना सिलेबस पूरा हुआ है ये बात या तो अध्यापक जानते हैं या फिर बच्चे। लेकिन इसकी हकीकत रिजल्ट आने पर अपने आप पता चल जाएगी। अब देखने वाली बात यह होगी कि शिक्षा विभाग और प्रदेश सरकार परीक्षाओं को थोड़ा समय और देते हुए इसे स्थगित करती है या फिर जितनी तैयारियां बच्चों की हो रही हैं, उसी के हिसाब से परीक्षा ले ली जाएगी।

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