रोहतक : एक तरफ तो शिक्षा विभाग प्राइवेट स्कूलों को टक्कर देने की बात कर
रहा है। वहीं, दूसरी ओर विभाग में अधिकारियों के 199 पद खाली पड़े हुए हैं।
विभाग में बीईईओ से लेकर डीईओ और डिप्टी डीईओ तक के पद खाली है। प्रदेश के
प्रत्येक जिले में कई वर्षों से अनेक अधिकारियों के पद रिक्त हैं।
अधिकारियों के अभाव में विभाग को सक्षम बनाने का सपना ऐसे हालातों में कैसे
पूरा होगा। इतना ही नहीं तीन साल से विभाग में प्रथम श्रेणी अधिकारियों की
पदोन्नति तक भी नहीं हुई है। जिसके चलते भी विभाग में अधिकारियों के यह पद
खाली चल रहे हैं। हालांकि विभाग का दावा है कि रिक्त पदों पर वैकल्पिक
व्यवस्था की गई है, लेकिन सूत्रों की मानें तो विभाग की यह वैकल्पिक
व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है और तमाम जिला स्तरों पर भी व्यवस्था
डगमगाने लगी है। अधिकारियों के रिक्त पदों का असर विभाग के शैक्षणिक
कार्यों पर भी पड़ रहा है। इससे सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन को तेजी
नहीं मिल रही है।
यह पड़ रहा प्रभाव
अधिकारियों के पद खाली होने के चलते विभाग की तमाम
योजनाएं भी पूरी तरह से क्रियांवित नहीं हो पा रही है। अधिकारी न तो
स्कूलों का दौरा कर रिपोर्ट ले पा रहे हैं और न ही कार्यालय का कार्यों का
समय पर निष्पादन हो पा रहा है। इतना ही नहीं डाइट में प्राचार्यों की कमी
के चलते शिक्षकों की ट्रेनिंग भी प्रभावित हो रही है।
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