आम बजट से हमें कर्मचारियों के लिए कुछ राहत मिलने की उम्मीद थी। इसीलिए
मेरे साथ कुछ अन्य कर्मचारी सुबह से ही टेलीविजन के आगे बैठ गए। टकटकी लगाए
बैठे सभी लोगों की आशाओं पर तुषारापात हो गया जब बजट भाषण में वित्त
मंत्री जेटली ने कर्मचारी वर्ग के लिए कोई रियायत नहीं दी।
उम्मीद तो आयकर
छूट की सीमा बढ़ने की थी, लेकिन इसके विपरीत सरकार ने एजुकेशन सेस को तीन
फीसद से बढ़ा कर चार फीसद कर दिया। मेडिकल व ट्रॉसपोर्ट अलाउंस को वापस
लेकर कर्मचारी वर्ग पर भारी कुठाराघात किया गया है। कर्मचारियों को उम्मीद
थी कि केंद्र सरकार नई नेशनल पेंशन स्कीम को रद कर देगी और अनुबंधित
कर्मचारियों को पक्का करने तथा समान काम के लिए समान वेतन देने की घोषणा
करेगी। परंतु इस बारे में वित्त मंत्री ने एक शब्द तक नहीं बोला। बीमा
कंपनियों का विलय कर विनिवेशीकरण के तहत 80 हजार करोड़ जुटाने की पॉलिसी
कतई ठीक नहीं। जीपीएफ और ईपीएफ की ब्याज दर बढ़ाने का प्रस्ताव भी ठंडे
बस्ते में डाल दिया गया। एक तरफ बजट में 70 लाख नौकरी देने की बात कही गई
है तो दूसरी तरफ बजट से पहले ही चार वर्ष से खाली पड़े पदों को समाप्त कर
दिया गया।
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