नई दिल्ली : दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में फर्जी दाखिला के मामले
सामने आने को लेकर विवि गंभीर है। हाल में राजधानी में पकड़े गए फर्जी
बोर्ड से 12वीं उत्तीर्ण करने वाले आठ छात्र डीयू के कॉलेजों के भी हैं।
डीयू अन्य संदिग्ध प्रमाणपत्रों की भी जांच कर रहा है। अब सत्र 2019-20 के
स्नातक में दाखिला लेने वाले छात्रों का पूरा विवरण कॉलेज को अपनी वेबसाइट
पर देना होगा।
नए सत्र में होने वाले दाखिला में डीयू ने कॉलेजों से पूरी
पारदर्शिता बरतने की बात कही है। जल्द ही कॉलेजों को अन्य निर्देश मिलने की
संभावना है। डीयू में दाखिला समिति से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि
कॉलेजों में छात्रों को दाखिला देना या न देना, उनका प्रमाणपत्र की जांच
करना और उसकी सत्यता की पुष्टि करना कॉलेजों का उत्तरदायित्व है। यदि किसी
कॉलेज में फर्जी दाखिले का मामला आता है तो वह उसे निरस्त करेगा। हाल के
मामलों में भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी। भविष्य में कॉलेजों से कोई गलती न
हो इसके लिए डीयू पूरी चौकसी बरतेगा। उन्होंने कहा कि हम जल्द ही कॉलेजों
को यह निर्देश भेजेंगे कि वह स्नातक में दाखिला लेने वाले छात्रों का नाम,
अनुक्रमांक के साथ जहां से उसने 12वीं उत्तीर्ण किया है, उसका नाम भी अपनी
वेबसाइट पर डालें ताकि यह पता चल सके कि छात्र ने फर्जी बोर्ड से दाखिला
लिया है या उसका बोर्ड वास्तविक है। यही नहीं अनुक्रमांक के जरिये उसकी
मार्कशीट भी सामने आ जाएगी। इससे पता चल सकेगा कि कॉलेज की कटऑफ में छात्र
के अंक आने पर उसे दाखिला दिया गया है या कॉलेज द्वारा फर्जीवाड़ा किया गया
है।
ज्ञात हो कि डीयू के एक कॉलेज में कम अंक होने पर छात्र को दाखिला
दिया गया। बाद में मामला सामने आने पर कॉलेज ने छात्र का नामांकन रद किया।
बता दें कि डीयू की दाखिला समिति के चेयरमैन पहले ही कॉलेजों को अंकपत्र की
जांच के लिए फारेंसिक टीम बुलाने की बात कर चुके हैं। डीयू के कई कॉलेज
पहले से फारेंसिक एक्सपर्ट से दाखिला के समय छात्रों के अंकपत्रों की जांच
कराते हैं।
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