** जूनियर-सीनियर का फैसला प्रदेश स्तर पर हो या जिले के आधार पर, वित्त विभाग से मांगी राय
चंडीगढ़ : जेबीटी (जूनियर बेसिक ट्रेंड) शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर करने की प्रक्रिया अफसरों की मनमानी में उलझ गई है। अदालतों में सैकड़ों केस दाखिल होने के बाद सरकार सभी जेबीटी का वेतन पुनर्निर्धारित करने का निर्देश दे चुकी है। इसके बावजूद कई जिलों में मौलिक शिक्षा अधिकारी (डीईईओ) पेंच फंसाए हुए हैं।
चंडीगढ़ : जेबीटी (जूनियर बेसिक ट्रेंड) शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर करने की प्रक्रिया अफसरों की मनमानी में उलझ गई है। अदालतों में सैकड़ों केस दाखिल होने के बाद सरकार सभी जेबीटी का वेतन पुनर्निर्धारित करने का निर्देश दे चुकी है। इसके बावजूद कई जिलों में मौलिक शिक्षा अधिकारी (डीईईओ) पेंच फंसाए हुए हैं।
प्रदेश सरकार ने 31 दिसंबर 2008 को छठा वेतन
आयोग लागू करते हुए जेबीटी का वेतनमान पहली जनवरी 2006 से 16,290 रुपये
निर्धारित किया था। कुछ जिलों के मौलिक शिक्षा अधिकारियों ने इसे लागू कर
दिया, जबकि कुछ ने फाइल दबाए रखी। 18 अगस्त 2009 को शिक्षा विभाग ने वेतन
को घटाकर 13,500 रुपये कर दिया। जिन जिलों में 16,290 रुपये वेतन किया गया
था, वहां के शिक्षकों की पर्सनल पे बनाते हुए अगली वार्षिक वेतनवृद्धि को
इसमें समायोजित कर दिया गया। इस तरह कहीं पर सीनियर टीचर का वेतन 13,500
रुपये हो गया तो कहीं जूनियर टीचर की तनख्वाह 16,290 हो गई।
इस वेतन
विसंगति के खिलाफ शिक्षिका नीलम रानी की याचिका पर हाई कोर्ट ने 15 मई 2015
को फैसला सुनाते हुए सरकार को छह फीसद ब्याज के साथ एरियर देने के निर्देश
दिए। हाई कोर्ट की डबल बेंच के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला बरकरार रखा
जिसके बाद नीलम रानी का केस पूरे हरियाणा में नजीर बन गया। सैकड़ों नई रिट
हाई कोर्ट में लगीं जिसके बाद वित्त विभाग ने पिछले साल 21 नवंबर को
सीनियर-जूनियर स्टैप अप पे मामले को जरनलाइज कर सभी विभागाध्यक्षों को इस
बारे में कार्यवाही के निर्देश दिए गए। परंतु शिक्षा विभाग ने मामला
सुलझाने की बजाय और उलझा दिया। वर्ष 1997 से 2004 तक लगे साढ़े 18 हजार
शिक्षकों में से करीब साढ़े तीन हजार को ही फैसले का लाभ मिल पाया है।
सीनियर को जूनियर से कम तनख्वाह
असल विवाद पहली जनवरी 2006 से 18 अगस्त
2009 के मध्य लगे जूनियर टीचर के आधार पर सीनियर टीचर को उसके बराबर कर
एरियर व छह फीसद ब्याज देने का है। इसका लाभ 1 जुलाई 2014 तक मिलना था। इन
टीचरों में पूरे प्रदेश में जूनियर मोस्ट भिवानी के हेतमपुरा निवासी
वीरेंद्र सिंह हैं जिनकी नियुक्ति 13 जनवरी 2006 को हुई। हाई कोर्ट के आदेश
में सिरसा, फतेहाबाद, कैथल, गुरुग्राम, रेवाड़ी, पानीपत, नूंह, झज्जर,
कुरुक्षेत्र, जींद, सोनीपत ने इसी शिक्षक को जूनियर मान वेतन रीफिक्स कर
एरियर का भुगतान कर दिया। वहीं, हिसार, फतेहाबाद, सिरसा, नारनौल, जींद,
नूंह इत्यादि जिले आज भी वेतन रिफिक्स कर एरियर निकलवा रहे हैं। कई जिलों
के डीईईओ अन्य जिले के शिक्षक को जूनियर मानने से हाथ खड़े कर दे रहे हैं।
इनका तर्क है कि चूंकि जेबीटी जिला कैडर की पोस्ट है, इसलिए निदेशालय
मार्गदर्शन दे कि शिक्षकों को किस आधार पर रिफिक्स किया जाए।
मौलिक
शिक्षा निदेशालय ने वित्त विभाग के पाले में डाली गेंद
मामले को लेकर
राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के नेता गत 20 दिसंबर को मौलिक शिक्षा निदेशक
राजनारायण कौशिक से मिले और वेतनमान विसंगतियां दूर करने की मांग दोहराई।
संघ के कोषाध्यक्ष जितेंद्र कुंडू और पूर्व महासचिव सुनील बास ने तर्क दिया
कि जिला कैडर केवल जिले के अंदर सर्विस व हेड टीचर की प्रमोशन तक ही सीमित
है। वेतनमान व सर्विस रूल्स पूरे प्रदेश के लिए एक समान है तो वेतन
निर्धारण जिला स्तर पर क्यों। शिक्षकों को अलग-अलग एरियर किस आधार पर दिया
जा रहा है। इस पर शिक्षा निदेशक ने वित्त विभाग से राय लेने की बात कही।
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