कुरुक्षेत्र : यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) की
ओर से जारी गाइडलाइन ने यूनिवर्सिटी व कॉलेजों में शिक्षक बनने की तैयारी
कर रहे आवेदकों की टेंशन बढ़ा दी है। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी में कार्यरत
शिक्षकों की पदोन्नति में भी पीएचडी का अड़ंगा लगा दिया है। बिना पीएचडी के
शिक्षकों को अब आठ हजार के ग्रेड पे पर नियुक्ति नहीं मिलेगी।
यूजीसी
की ओर से कॉलेज व यूनिवर्सिटी में शिक्षकों की नियुक्ति एवं उच्च शिक्षा
गुणवत्ता को लेकर गाइडलाइन जारी की गई है। जिसे लेकर देशभर के शिक्षकों से
28 फरवरी तक सुझाव भी मांगे गए हैं। इसके तहत शिक्षक यूनियन के प्लेटफार्म
और व्यक्तिगत तौर पर भी अपने सुझाव यूजीसी को वेबसाइट पर या लिखित में
भेजकर दे सकते हैं।
नियुक्ति एवं उच्च शिक्षा गुणवत्ता को लेकर जारी गाइडलाइन पर 28 तक दे सकते हैं सुझाव
ये किए गए हैं बदलाव
- अब तक यूनिवर्सिटी व कॉलेजों में नेट पास आवेदकों को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति मिलती है। वहीं नई गाइडलाइन में बिना पीएचडी के नियुक्ति न होने की शर्त है।
- बिना पीएचडी के नेट पास शिक्षक भी एसोसिएट प्रोफेसर के पदों तक प्रमोशन लेते हैं। अब शिक्षकों को प्रमोशन के लिए भी पीएचडी करनी होगी।
- नई गाइडलाइन के अनुसार शिक्षकों को 5 की बजाए 7 घंटे तक यूनिवर्सिटी व कॉलेज में रहना होगा।
- एमफिल व पीएचडी करने वाले शिक्षकों को 3 व 5 अग्रिम वेतन वृद्धि मिलती है। अब इन वेतन वृद्धियों को खत्म कर दिया है।
- सीधे एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति के लिए 5 रिसर्च पेपर जरूरी थे, अब बढ़ाकर 7 कर दिया गया है।
- पेटेंट, कांफ्रेंस या सेमिनार में शोधपत्र प्रस्तुति या पॉलिसी डॉक्यूमेंट बनाने पर अब तक शिक्षकों को प्रमोशन के लिए कितने भी अंक अर्जित करने की छूट थी, लेकिन अब 30 प्रतिशत से अधिक अंक इनसे न ले पाने की गाइडलाइन रखी गई है।
- शोध कार्यशाला लगाने वाले शिक्षकों को अब तक 10 व 20 अंक प्रमोशन के लिए मिलते हैं, नई गाइडलाइन में इन अंकों को खत्म कर दिया गया है।
- सेमिनार व कांफ्रेंस आयोजित करने पर शिक्षकों को मिल रहे अंकों को भी में खत्म कर दिया है।
- सेवानिवृत्ति के बाद 65 वर्ष की आयु तक दोबारा लगाने का नियम है, अब 70 वर्ष तक शिक्षकों को सेवानिवृत्ति के बाद कांट्रेक्ट आधार पर लगाया जा सकेगा।
- डिजिटल लर्निंग को बढ़ावा देने के मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स के लिए कंटेंट लिखने पर शिक्षकों को प्रमोशन अंक देने का प्रावधान नई गाइडलाइन में किया है।
"नई
गाइडलाइन शिक्षकों की प्रमोशन को रोकने वाली हैं। जिन शिक्षकों की भर्ती
हो चुकी है, ऐसे में उनके लिए क्राइटेरिया को बदलना गलत है। इसके अलावा
प्रमोशन के नियमों को इतना कड़ा करना गलत है। वहीं सेवानिवृत्ति के बाद
शिक्षकों को 70 वर्ष की आयु तक दोबारा कांट्रेक्ट पर रखने की बात ठीक है।"-- डॉ. परमेश कुमार, पूर्व प्रधान, केयू शिक्षक संघ कुटा
"शिक्षकों
के लिए पीएचडी तो जरूरी की जा रही है, लेकिन इसके लिए रिसर्च अलाउंस मिलना
चाहिए। पीएचडी में दाखिले के लिए शिक्षकों के लिए अलग व्यवस्था होनी
चाहिए। ताकि शिक्षक पदोन्नति पाने के लिए पीएचडी करने की शर्त को पूरा कर
सकें। गाइडलाइन का अध्ययन कर कुटा के प्लेटफार्म पर सभी मुद्दों को उठाकर
यूजीसी को सुझाव भेजे जाएंगे।"-- डॉ. दीपक राय बब्बर, उपप्रधान, कुटा
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