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Tuesday, 20 February 2018

पक्की नौकरी मांग रहे अतिथि अध्यापकों की सरकार से वार्ता में अफसरों का अड़ंगा

** मौलिक शिक्षा निदेशक ने अतिथि अध्यापक संघ से निष्कासित पदाधिकारियों से ही बातचीत करने की शर्त जोड़ी
चंडीगढ़: पक्की नौकरी और समान काम के लिए समान वेतन मांग रहे अतिथि अध्यापकों को मनाने में सफल रही सरकार के प्रयासों में अफसरों ने अड़ंगा लगा दिया है। वार्ता को सिरे चढ़ाने सोमवार को मौलिक शिक्षा निदेशालय पहुंचे अतिथि अध्यापक संघ के प्रतिनिधिमंडल को छह घंटे इंतजार कराने के बाद बैरंग लौटा दिया गया। इससे गुस्साए अतिथि अध्यापकों ने मंगलवार को फिर से मुख्यमंत्री के ओएसडी अमरेंद्र सिंह से मिलने का समय मांगा है। कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला तो अतिथि अध्यापक संघ फिर से सड़कों पर उतरेगा।
शुक्रवार को चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री मनोहर लाल और हरियाणा अतिथि अध्यापक संघ के सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ हुई बातचीत में कई मुद्दों पर सहमति बन गई थी। साथ ही मौलिक शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों को तकनीकी व कानूनी बाधाएं दूर करने की प्रक्रिया शुरू करने के आदेश दिए गए थे। सोमवार को अतिथि अध्यापक संघ का आठ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सुबह करीब 11 बजे मौलिक शिक्षा निदेशालय पहुंच गया जहां मौलिक शिक्षा निदेशक राज नारायण कौशिक से दोपहर बाद वार्ता तय थी। 
करीब छह घंटे बाद मौलिक शिक्षा निदेशक ने प्रतिनिधिमंडल को कार्यालय में बुलाकर साफ कर दिया कि वह केवल संघ के पूर्व प्रधान राजेंद्र शास्त्री और शशि भूषण से ही बातचीत करेंगे।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल भूपेंद्र (सोनीपत), पवन कुमार (पानीपत), राजेश मलिक (पानीपत), सतीश शर्मा (करनाल), प्रदीप बतान (करनाल), राजीव चंदाखेड़ी (पंचकूला), रामकुमार सैनी (कुरुक्षेत्र), और सुखविंद्र बरसाना (कैथल) ने मौलिक शिक्षा निदेशक को बताया कि राजेंद्र शास्त्री और शशि भूषण को संगठन से हटा दिया गया है। इसलिए वह हमसे ही बात करें। परंतु मौलिक शिक्षा निदेशक ने उनकी एक न सुनी और बातचीत से साफ इनकार करते हुए वहां से निकल गए।
फिर आंदोलन की राह चल सकते अतिथि
संघ के संयोजक पारस शर्मा ने अधिकारियों के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा कि मंगलवार को करनाल में मुख्यमंत्री के ओएसडी अमरेंद्र सिंह से इस मुद्दे पर बात होगी। अगर कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला तो फिर से आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

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