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Tuesday, 20 February 2018

फर्जी स्कूलों व शिक्षा एकेडमियों के संबंध में हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से दस दिन में किया जवाब तलब


भिवानी : हरियाणा सरकार की फर्जी स्कूलों व एकेडमियों के मामले में हाईकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए हरियाणा स्कूली शिक्षा विभाग से जवाब तलब किया है। वहीं शिक्षा विभाग को हाई कोर्ट में दस दिन के अंदर जवाब देने के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने वरिष्ठ एडवोकेट अंकित ग्रेवाल के माध्यम से हाईकोर्ट में 9 अक्टूबर 2017 को फर्जी स्कूलों के संबंध में जनहित याचिका डाली थी। 
जिस पर हाईकोर्ट की डबल बैंच के सीनियर जस्टिस अजय कुमार मित्तल व अनुपेन्द्र सिंह ग्रेवाल की खंडपीठ ने 15 फरवरी 2018 को शहर के 70 फर्जी स्कूलों के संबंध में संज्ञान लेते हुए कार्रवाई के आदेश दिए। हाईकोर्ट में दायर की कई जनहित याचिका में हवाला दिया था कि अकेले शहर में 70 फर्जी निजी स्कूल व अकेडमी चल रहे हैं, जो शिक्षा नियमावली 2011 का उल्लंघन करते हुए संचालित किए जा रहे हैं। ये निजी स्कूल और अकेडमी बिना किसी बोर्ड या शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त किए बगैर संचालित किए जा रहे हैं, जबकि अभिभावकों से भी ये फर्जी निजी स्कूल मोटी फीस वसूल कर अभिभावकों के साथ साथ प्रदेश सरकार को भी करोड़ों रुपयों का चूना लगा रहे हैं। याचिका में बताया गया है कि शहर में हर चौक चौराहे पर शिक्षा अकेडमी चल रही है, जो नौंवी से बारहवीं कक्षा तक के बच्चों को पढ़ा रहे हैं। नियम के अनुसार स्कूली शिक्षा विभाग के अंतर्गत बारहवीं कक्षा तक की शिक्षा आती है जबकि एकेडमियों में इन कक्षाओं का संचालन करना सीधे-सीधे विभाग की नियमावली के अनुसार धोखाधड़ी के दायरे में क्रिमनल एक्ट के अंतर्गत आता है। इसमें एक लाख रुपये तक के जुर्माने का भी प्रावधान है। बृजपाल परमार व महामंत्री भारत भूषण बंसल ने बताया कि शिक्षा विभाग को फर्जी निजी स्कूलों के संबंध में कई शिकायतें दी थी, इसके बाद शिक्षा विभाग ने स्कूलों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया, जबकि भिवानी खंड शिक्षा अधिकारी के माध्यम 12 अप्रैल 2017 से 30 मई 2017 तक 53 फर्जी निजी स्कूलों को केवल नोटिस थमा कर अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ लिया था। 

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