भिवानी : उच्चतर शिक्षा विभाग के निर्णय से तो अब एमफिल, पीएचडी और नेट
क्वालीफाइड करने वाले एसोसिएट प्रोफेसर भी जीरो हो गए हैं। जी हां यह हम
इसलिए कह रहे है कि उच्चतर शिक्षा निदेशालय ने हाल ही में सरकारी कालेजों
में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति पाने वाले शिक्षकों को एमफील, पीएचडी और
नेट क्वालीफाइड करने के बावजूद कोई अतिरिक्त अंक नहीं दिया जाएगा। जबकि
उन्हें अपनी मेट्रिक शैक्षणिक योग्यता में 70 फीसदी अंक लेने अनिवार्य
होंगे। इतना ही नहीं सीनियर सेकेंडरी में भी उन्हें 75 प्रतिशत अंकों के
साथ बारहवीं उत्तीर्ण करनी जरूरी होगी। ग्रेजुएशन में भी 75 फीसदी अंक होने
अनिवार्य किए गए हैं। जबकि पीएचडी, एमफील व नेट क्वालीफाइड कर चुके
शिक्षकों को शून्य अंक की श्रेणी में रखा गया है। उच्चतर शिक्षा विभाग के
इस नए फरमान से सहायक प्रोफेसर बनने का सपना देख रहे हजारों उम्मीदवारों की
उम्मीदों को झटका लग गया है। भिवानी में उच्चतर शिक्षा विभाग की इस नीति
के खिलाफ तो सहायक प्रोफेसरों ने अपने सुर मुखर करना भी शुरू कर दिए हैं।
वैश्य महाविद्यालय भिवानी में सोमवार को सरकारी सहायता प्राप्त कालेजों
में सहायक प्रोफेसर नियुक्त प्रवक्ताओं की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में
इस नीति की कड़े शब्दों में निंदा की गई। बैठक में उपस्थित सहायक प्रोफेसर
दुष्यंत सिंह, सन्नी पहलवान, सुनील कुमार, संजय कुमार, महेन्द्र सिंह,
सुशीला आर्या, रामकुमार, सुमन तंवर, अग्नि कुमारी, सुमन बामल, ममता वधवा,
सुशीला कुमारी, रोमा सिंह, संजीव मित्तल का कहना है कि इीस नीति की वजह से
हजारों अभ्यार्थियों के हाथों से रोजगार का अवसर छिन गया है। राज्य सरकार
को इस तरह के फैसलों पर पुनर्विचार कर नीति में जरूरी संशोधन करने चाहिए।
बैठक में निर्णय लिया गया कि आगामी 9 जुलाई को दोपहर 11 बजे इस नीति के
खिलाफ सरकार के इस फैसले के खिलाफ आगामी रणनीति बनाने के लिए सहायक
प्रोफेसरों की बैठक बुलाई गई है। ..DJ
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News Update:
*** Supreme Court Dismissed SLP of 719 Guest Teachers of Haryana *** यूजीसी नहीं सीबीएसई आयोजित कराएगी नेट *** नौकरी या दाखिला, सत्यापित प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं *** डीडी पावर के लिए हाईकोर्ट पहुंचे मिडिल हेडमास्टर *** बच्चों को फेल न करने की पॉलिसी सही नहीं : शिक्षा मंत्री ***
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